भारहीनता क्या है, परिभाषा, उपग्रहों में भारहीनता, जीरो ग्रेविटी, weightlessness in Hindi

भारहीनता

किसी वस्तु के भार का अनुभव उस वस्तु पर लगने वाले प्रतिक्रिया बल के कारण होता है। जिससे पृथ्वी वस्तु को अपने केंद्र की ओर आकर्षित करती है क्योंकि वस्तु का द्रव्यमान शून्य नहीं हो सकता है। अतः उसका गुरुत्वीय त्वरण शून्य हो जाता है। इस दशा को भारहीनता (weightlessness in Hindi) कहते हैं। इसे हम जीरो ग्रेविटी भी कह सकते हैं। क्योंकि भारहीनता की दशा में गुरुत्वीय त्वरण का मान शून्य ही होता है।

भारहीनता के उदाहरण

  1. अंतरिक्ष यान में बैठे वैज्ञानिकों को भारहीनता का अनुभव होता है जिससे वह यान में उड़ते रहते हैं।
  2. झूले में व्यक्ति के बैठने पर अगर झूले की रस्सी टूट जाए तो उस व्यक्ति को भारहीनता महसूस होती है।
  3. लिफ्ट से नीचे उतरते हुए तो अपने भी भारहीनता का अनुभव किया होगा।
  4. कृत्रिम उपग्रह की सतह पर भारहीनता महसूस की जा सकती है क्योंकि यहां गुरुत्वीय त्वरण शून्य होता है।

भारहीनता की विशेषताएं

अंतरिक्ष यान में बैठे अंतरिक्ष यात्री का प्रतिक्रिया बल शून्य होता है। यदि वह उपग्रह पर अपना भार ज्ञात करना चाहे तो उसे शून्य ही प्राप्त होगा। चूंकि उपग्रह के भीतर सभी वस्तुएं भारहीन होती हैं। वास्तव में यह वस्तुएं भारहीन नहीं है यह गुरुत्वीय त्वरण के शून्य मान के कारण प्रतीत होती हैं। इससे प्रतिक्रिया बल भी शून्य हो जाता है।

अगर अंतरिक्ष यात्री वहां किसी डोरी से पत्थर बांधकर लटका दें, तो डोरी में तनाव नहीं आएगा। डोरी सांप की भांति तैरने लगेगी। अगर पानी को भी गिलास से पीना चाहे तो पानी मुंह में नहीं आएगा बल्कि छोटी-छोटी बूंदे तैरने लगेगा।

जीरो ग्रेविटी (शून्य गुरुत्वीय त्वरण) की परिस्थितियों

  1. पृथ्वी के केंद्र पर गुरुत्वीय त्वरण शून्य होता है।
  2. वस्तु बाह्य अंतरिक्ष के शून्य गुरुत्व वाले स्थान पर हो तो g शून्य होती है।
  3. पृथ्वी की वृत्तीय कक्षा में परिक्रमण करते अंतरिक्ष यान पर बैठे व्यक्ति पर गुरुत्वीय त्वरण का मान शून्य होता है।

पढ़ें… 11वीं भौतिक नोट्स | 11th class physics notes in Hindi

ध्यान दें-
चंद्रमा भी एक उपग्रह है लेकिन इस पर भारहीनता का अनुभव नहीं होता है। क्योंकि चंद्रमा का द्रव्यमान बहुत अधिक है अतः इस पर व्यक्ति का भार होता है इस पर प्रतिक्रिया बल शून्य नहीं होता है।
लेकिन कृत्रिम उपग्रह की बात करें तो वहां द्रव्यमान भी कम होता है जिस कारण गुरुत्व बल नहीं लगता है अतः व्यक्ति यहां भारहीनता महसूस करता है।


शेयर करें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *