अणुसंख्यक गुणधर्म किसे कहते हैं, परिभाषा, प्रकार | colligative properties in Hindi

अणुसंख्यक गुणधर्म

विलयन में उपस्थित वह गुण जो विलेय पदार्थों के मोलों की संख्या पर निर्भर करते हैं। उन्हें अणुसंख्यक गुणधर्म (colligative properties in Hindi) कहते हैं।
इसमें विलयन के गुण विलेय के मोलों की संख्या पर निर्भर करते हैं। विलेय की प्रकृति पर निर्भर नहीं करते हैं।
अणुसंख्यक गुणधर्म को चार भागों में बांटा गया है –

  1. वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन
  2. क्वथनांक में उन्नयन
  3. हिमांक में अवनमन
  4. परासरण दाब

Note –
अणुसंख्यक गुणधर्म के चारों प्रकार पर अलग से एक-एक पूरा लेख तैयार किया गया है जिनका लिंक नीचे दिया गया है। यहां पर चारों प्रकार का सारांश दिया गया है। विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर जाकर पूरा लेख पढ़े सकते हैं। पढ़ें…
• वाष्पदाब में अपेक्षिक अवनमन
• क्वथनांक का उन्नयन
• हिमांक में अवनमन
• परासरण दाब क्या है

पढ़ें… वाष्पदाब में आपेक्षिक अवनमन से आप क्या समझते हैं सूत्र और उदाहरण दीजिए
पढ़ें… आदर्श और अनादर्श विलयन क्या है इसके बीच अंतर, विशेषताएं, उदाहरण, प्रकार

1. वाष्पदाब में अपेक्षिक अवनमन

जब कोई अवाष्पशील पदार्थ को किसी विलायक में मिलाया जाता है तो विलयन के वाष्पदाब में कमी उत्पन्न हो जाती है। जिसे वाष्पदाब का अवनमन कहते हैं।
वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन विलयन में विलेय की मात्रा के अनुक्रमानुपाती होता है।
यदि शुद्ध विलायक का वाष्पदाब Po एवं इसमें कोई अवाष्पशील विलेय मिलाने पर वाष्पदाब Ps है तो
वाष्पदाब में अवनमन = Po – Ps
तथा वाष्पदाब का अपेक्षिक अवनमन = \frac{P^o - P_s}{P^o}

जब विलायक शुद्ध अवस्था में होता है तो वाष्पदाब अधिक होता है लेकिन जैसे ही उसमें कोई अवाष्पशील विलेय मिला दिया जाता है तो विलायक के वाष्पदाब में कमी आ जाती है।

2. क्वथनांक में उन्नयन

जब किसी शुद्ध विलायक में कोई अवाष्पशील विलेय पदार्थ मिला दिया जाता है। तो विलायक के वाष्पदाब में कमी आ जाती है। दाब में कमी के कारण विलयन का क्वथनांक, विलायक के क्वथनांक से अधिक होता है। अर्थात
“ किसी शुद्ध विलायक में कोई अवाष्पशील विलेय पदार्थ मिलाने पर विलायक के क्वथनांक में वृद्धि को क्वथनांक में उन्नयन कहते हैं। ”
यदि विलायक का क्वथनांक T1 तथा विलयन का क्वथनांक T1
2
है तो
क्वथनांक में उन्नयन = T2 – T1

3. हिमांक में अवनमन

जब किसी शुद्ध विलायक में कोई अवाष्पशील पदार्थ मिला दिया जाता है तो विलयन के वाष्पदाब में कमी उत्पन्न हो जाती है। अर्थात् विलयन का वाष्पदाब, विलायक के वाष्पदाब से सदैव कम रहता है। अतः विलायक का हिमांक कम हो जाता है हिमांक में उत्पन्न इस कमी को हिमांक में अवनमन कहते हैं।
हिमांक में अवनमन = k × \frac{w}{m} × \frac{1000}{W}
जहां k = मोलल अवनमन स्थिरांक
w = विलेय का भार
m = विलेय का अणुभार
W = विलायक का भार है।

पढ़ें… 12वीं रसायन विज्ञान नोट्स | 12th Chemistry notes in Hindi PDF download NCERT

4. परासरण दाब

जब अर्ध पारगम्य झिल्ली द्वारा किसी विलायक का कम सांद्रता के विलयन से ज्यादा सांद्रता के विलयन की ओर प्रवाह परासरण कहलाता है। अर्थात्
“ अर्ध पारगम्य झिल्ली द्वारा विलायक का एक विलयन से दूसरे विलयन की ओर प्रवेश को रोकने के लिए विलयन पर लगाए गये बाह्य दाब को परासरण दाब कहते हैं। ”

यह चारों अणुसंख्यक गुणधर्म है इनसे संबंधित प्रशन हर साल वार्षिक परीक्षाओं में पूछा जाता है। तो आप इन्हें जरूर याद करें। या हो सके तो इन चारों के नाम याद रखें चूंकि प्रशन में अणुसंख्यक गुणधर्म के नाम भी पूछ लिये जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *