वायु प्रदूषण पर निबंध
भोजन के बिना तो मनुष्य कुछ समय के लिए जीवित रह सकता है लेकिन वायु के बिना मनुष्य शायद पाॅंच मिनट भी जीवित नहीं रह सकता है लेकिन आज का मनुष्य इन सभी बातों से अज्ञान होता जा रहा है। वह वायु की परवाह किए बिना इसे लगातार नुकसान पहुंचाता जा रहा है।
वायुमंडल में विभिन्न प्रकार की गैसें एक निश्चित अनुपात में उपस्थित होती हैं लेकिन दूषित, विषैली गैसों के मिलने के कारण इन गैसों का प्राकृतिक अनुपात खराब हो गया है। जिस कारण इन गैसों का संतुलन बिगड़ रहा है तो इस प्रकार वायु में दूषित गैसों के मिलने की प्रक्रिया को वायु प्रदूषण air pollution in hindi कहते हैं।
वायु प्रदूषण
प्रस्तावना
वायु जीवन का एक मुख्य स्रोत है प्रत्येक सजीव प्राणी को जीने के लिए शुद्ध वायु (ऑक्सीजन) की आवश्यकता पड़ती है। सभी जीवधारी साॅंस द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइ-ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधों में यह प्रक्रिया उल्टी है वह कार्बन डाइ-ऑक्साइड ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इस प्रकार वायुमंडल में गैसों का संतुलन बना रहता है। लेकिन पेड़-पौधों के कटने की वजह से यह संतुलन खराब हो रहा है क्योंकि पेड़-पौधों की संख्या कम होने की वजह से हमें पूर्ण रूप से ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है इसलिए वायु प्रदूषण की दर बढ़ रही है।
वायु प्रदूषण के कारण
वायुमंडल की विभिन्न प्रकार की गैसें एक विशिष्ट अनुपात में उपस्थित होती हैं इन गैसों का अनुपात खराब होने पर वायु दूषित होने लगती है।
वायु प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से औद्योगिक संस्थान तथा यातायात के साधन जिम्मेदार हैं औद्योगिक संस्थान से निकलने वाले धुएं में विभिन्न प्रकार की विषैली गैसें विद्यमान होती हैं जो वायुमंडल में जाकर गैसों का संतुलन पर प्रभाव डालती हैं। जिस कारण वायु दूषित होने लगती है इन विषैली गैसों में शीशा, आर्सेनिक, क्लोराइड, फ्लोराइड, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि गैस से मिली होती हैं।
कृषि उद्योग में खेतों में कीटनाशकों से भी वायु दूषित हो जाती है।
वायु प्रदूषण के प्रभाव
वायु प्रदूषण के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य पर अनेक प्रकार से प्रभाव पड़ते हैं। इसके प्रभाव मनुष्य के अतिरिक्त सभी जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है। मनुष्य में वायु प्रदूषण के कारण अनेक रोग उत्पन्न हो जाती हैं इनमें से सबसे खतरनाक फेफड़ों का रोग है। इसके अतिरिक्त सिर दर्द, खांसी, दमा, गले का रोग, न्यूमोनिया, चक्कर आना, ह्रदय रोग, हड्डी के दर्द, बच्चों में सांस लेने के साथ खरखराहट आदि प्रकार के रोग कहीं न कहीं वायु प्रदूषण से ही जुड़े हैं। लंबे समय तक दूषित गैस में सांस लेने से कैंसर नामक घातक रोग भी हो सकता है।
वायु प्रदूषण पर नियंत्रण
वायु प्रदूषण का मुख्य स्रोत औद्योगिक संस्थान है इनमें धुआं निकलने वाली चिमनियों को बहुत अधिक ऊंचाई पर लगाना चाहिए एवं इन चिमनियों में जाली भी लगानी चाहिए, जिससे वातावरण में गैसों के कण नहीं जा सके।
इसी प्रकार वाहनों में भी यही प्रक्रिया अपनानी चाहिए। वाहनों में सीएनजी वाहन की संख्या बढ़ाने चाहिए, क्योंकि इनमें वायु प्रदूषण नहीं होता है। एवं वाहनों के सिलेंडर पर फिल्टर लगा होना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण न हो।
वातावरण को शुद्ध व स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को वातावरण स्वच्छ रखना चाहिए। अपने आस-पास सफाई रखनी चाहिए और दूसरों को भी सफाई रखने की सलाह देनी चाहिए।
उपसंहार
उपयुक्त वर्णन से स्पष्ट होता है कि वायु प्रदूषण एक बड़ी एवं गंभीर समस्या बन गई है और यह समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इस समस्या के समाधान के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपना दायित्व को नहीं भूलना चाहिए।
यह किसी एक व्यक्ति, समूह की समस्या नहीं बल्कि संपूर्ण संसार की समस्या है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति इसमें पूर्ण योगदान दें। अपने आसपास का वातावरण साफ-सुथरा रखें, और दूसरों को भी ऐसा करने की सलाह दे।
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