एमिनो अम्ल को कहीं-कहीं अमीनो अम्ल तथा ऐमिनो अम्ल लिख दिया जाता है। यह तीनों एक ही है। आप पहले वाला यानी एमिनो अम्ल का ही प्रयोग करें।
एमिनो अम्ल
वे यौगिक जिनके एक अणु में एक या अधिक कार्बोक्सिलिक समूह (–COOH) तथा एक या अधिक ऐमीनो समूह (–NH2) उपस्थित होता है। तो उस यौगिक को एमिनो अम्ल (amino acid in Hindi) कहते हैं। एमिनो अम्ल प्रोटीन की आधारभूत इकाई है। इसमें ऐमीनो तथा कार्बोक्सिलिक क्रियात्मक समूह उपस्थित होते हैं जैसे –
CH3COOH \xrightarrow [+ NH_2] {- H} \scriptsize \begin{array}{rcl} H_2N–CH_2–COOH \\ एमीनो\, ऐसीटिक\,अम्ल \end{array}
इसमें ऐमीनो समूह NH2 तथा कार्बोक्सिलिक समूह COOH है। इसलिए यह अमीनो अम्ल का एक उदाहरण है।
एमिनो अम्ल का वर्गीकरण
एमिनो अम्ल को उनके अणुओं में उपस्थित ऐमीनो तथा कार्बोक्सिलिक क्रियात्मक समूह की संख्या के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है।
1. उदासीन एमिनो अम्ल
2. अम्लीय एमिनो अम्ल
3. क्षारीय एमिनो अम्ल
1. उदासीन एमिनो अम्ल
वे एमिनो अम्ल जिसमें ऐमीनो तथा कार्बोक्सिलिक समूह की संख्या समान होती है। तो उन्हें उदासीन एमिनो अम्ल कहते हैं।
जैसे – ग्लाइसीन, एलेनीन
2. अम्लीय एमिनो अम्ल
वे एमिनो अम्ल जिसमें ऐमीनो समूह की तुलना में कार्बोक्सिलिक समूह की संख्या अधिक होती है। तो उन्हें अम्लीय एमिनो अम्ल कहते हैं।
जैसे – एस्पोर्टिक अम्ल, ग्लूटैमिक अम्ल
3. क्षारीय एमिनो अम्ल
वे एमिनो अम्ल जिसमें ऐमीनो समूह की तुलना में कार्बोक्सिलिक समूह की संख्या कम होती है। तो उन्हें क्षारीय एमिनो अम्ल कहते हैं।
जैसे – लाइसीन, अर्जीनीन
आवश्यक तथा अनावश्यक एमिनो अम्ल
वे एमिनो अम्ल जो शरीर में संश्लेषित नहीं होते है तथा जिनको भोजन द्वारा लेना आवश्यक होता है। तो उन्हें आवश्यक एमिनो अम्ल कहते हैं।
जैसे – बैलीन, ल्यूसीन, आइसोल्यूसीन, अर्जीनीन, लाइसीन, थ्रीयोनीन, मैथियोनीन, फेनिल एलेनीन, ट्रिप्टोफेन तथा हिस्टीडीन आवश्यक एमिनो अम्ल के उदाहरण हैं।
वे एमिनो अम्ल जो शरीर में संश्लेषित हो जाते हैं। उन्हें अनावश्यक एमिनो अम्ल कहते हैं।
जैसे – ग्लाइसीन, एलानीन, ग्लूटैमिक अम्ल, ऐस्पार्टिक अम्ल, ग्लूटेमीन, सेटीन, सिस्टीन, टाइरोसीन तथा प्रोलीन अनावश्यक एमिनो अम्ल के उदाहरण हैं।
एमिनो अम्ल की गुण
- एमिनो अम्ल रंगहीन, क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ होते हैं।
- इनके गलनांक उच्च होते हैं।
- यह जल में विलेय होते हैं।
ज्विटर आयन
एमिनो अम्ल में अम्लीय कार्बोक्सिलिक समूह तथा क्षारीय ऐमीनो समूह उपस्थित होते हैं। जलीय विलयन में कार्बोक्सिलिक समूह एक प्रोटीन का त्याग करता है जबकि ऐमीनो समूह एक प्रोटीन ग्रहण कर लेता है। जिसके फलस्वरूप एक द्विध्रुवीय आयन का निर्माण होता है जिसे ज्विटर आयन कहते हैं।
ध्यान दें – कि ज्विटर आयन उदासीन होता है। परंतु इसमें धनावेश पर ऋणावेश दोनों उपस्थित रहते हैं।