दो समांतर धारावाही चालक तारों के बीच चुंबकीय बल
जब हम किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं। तो चालक तार के चारों और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। यदि हम इस चालक के समीप एक दूसरा धारावाही चालक रख दें। तो पहले चालक पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र के कारण दूसरे धारावाही चालक पर एक बल आरोपित होता है। इस प्रकार स्पष्ट है। कि दो धारावाही चालको को पास-पास रखने पर उसमें चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति के कारण एक-दूसरे पर बल का अनुभव करते हैं।
माना दो लंबे समांतर व सीधे धारावाही चालक तार ab व cd हैं। जिनमें i1 व i2 धारा प्रवाहित हो रही है। वायु अथवा निर्वात में एक दूसरे से r दूरी पर रखे हैं। तो तार ab के कारण cd के किसी बिंदु पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र
\large B_1 = \frac{µ_0}{2π} \frac{i_1}{r} न्यूटन/एम्पीयर-मीटर समी. ①
इस चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दायें हाथ की हथेली के नियम नंबर 2 के अनुसार कागज (या जिस माध्यम पर आप लिख रहे हैं ) के तल के लम्वबत् अंदर की ओर होगी। तो अब इस चुंबकीय क्षेत्र B1 के कारण तार cd पर उत्पन्न बल या लगने वाला बल
F = i2B1ℓ समी. ②
इस बल की दिशा फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम के अनुसार अथवा दाएं हाथ की हथेली के नियम नंबर 2 के अनुसार तार cd की ओर होगी।
तो समी. ② से B1 का मान समी. ① में रखने पर
F = i2B1 ℓ तथा
F = \large i_2 \frac{µ_0}{2π} \frac{i_1}{r} × ℓ
या \footnotesize \boxed { \frac{F}{ℓ} = \frac{µ_0}{2π} \frac{i_1i_2}{r} } न्यूटन/मीटर
या \footnotesize \boxed { \frac{F}{ℓ} = 2 × 10^{-7} \frac{i_1i_2}{r} } न्यूटन/मीटर
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एंपियर की परिभाषा :- एंपियर की परिभाषा दो समांतर धारावाही चालक के मध्य लगने वाले बल के आधार पर दी जा सकती है। अर्थात् ” वह धारा जो वायु अथवा निर्वात में परस्पर 1 मीटर की दूरी पर स्थित दो लंबे समान्तर तथा सीधे धारावाही चालक तार में प्रवाहित करने पर, तार की प्रति मीटर लंबाई पर 2 × 10-7 न्यूटन का बल उत्पन्न करती हो। तब इस धारा के मान को 1 एंपियर कहते हैं। इसे A से प्रदर्शित करते हैं।