बरनौली की प्रमेय के बारे में हम पिछले अध्याय में पूरी तरह से पढ़ चुके हैं।
अब इस अध्याय के अंतर्गत हम बरनौली की प्रमेय के अनुप्रयोग (Application of Bernoulli theorem in Hindi) के बारे में चर्चा करेंगे। यहां हम कोई तीन अनुप्रयोग लिखकर व्याख्या करेंगे।
बरनौली की प्रमेय के अनुप्रयोग
- वेंच्यूरी मीटर (Venturi metre)
- हवाई जहाज के पंखों में
- मैगनस प्रभाव
1. वेंच्यूरी मीटर (Venturi metre)
वेंच्यूरी मीटर, बरनौली सिद्धांत पर आधारित एक ऐसा उपकरण है जिसके द्वारा किसी नली में द्रव के बहने की दर ज्ञात की जा सकती है।
इसमें एक नली XY होती है जिसका बीच का भाग Z संकीर्ण होता है Y व Z के बीच दो ऊर्ध्वाधर नलियां जुड़ी रहती हैं। जिन नलियों में द्रव के बहने की दर ज्ञात करनी है।
जब नली XY में द्रव बहता है तो X की अपेक्षा भाग Z पर नली का वेग अधिक होता है। एवं Z पर दाब भाग X की अपेक्षा कम होता है। इसके बीच दाब का अंतर ज्ञात करने के लिए ऊर्ध्वाधर नलियों का दाब माप लेते हैं। इससे नली में बहने वाले द्रव की दर ज्ञात की जा सकती है।
2. हवाई जहाज के पंखों में
वायुयान की पंखड़ियां बरनौली प्रमेय के सिद्धांत के अनुसार ही बनाई जाती हैं। पंखों की आकृति ऐसी होती है कि ऊपरी सतह की वक्रता त्रिज्या, निचली सतह की वक्रता त्रिज्या से अधिक होती है। तथा सामने का किनारा गोल एवं पीछे का किनारा चपटा होता है।
जब हवाई जहाज हवा में दौड़ता है तो पंखों की इस विशेष आकृतियों के कारणों, पंख के ऊपर चलने वाले वायु का वेग, पंख के नीचे चलने वाली वायु के वेग से अधिक हो जाता है। बरनौली प्रमेय से ऊपर दाब कम हो जाता है एवं नीचे दब अधिक हो जाता है। इन दोनों दाबों के अंतर के कारण ही वायुयान ऊपर की ओर एक उत्थापक बल लगता है। तथा इस बल का मान वायुयान के भार से अधिक हो जाता है तो वायुयान उड़ने लगता है।
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3. मैगनस प्रभाव
बरनौली प्रमेय के आधार पर मैगनस प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
जब क्रिकेट के खिलाड़ी गेंद को स्पिन करते हुए फेंकते हैं तो गेंद एक सरल रेखा में गति करने की बजाये एक वृत्ताकार पथ पर गति करती है जिसे हम गेंद की स्विंग कहते हैं। वास्तव में इसका कारण यह है कि जब गेंद को स्पिन करके फेंकते हैं तो गेंद के चारों ओर की वायु भी गेंद के वेग से घूमती है जब गेंद चलती है तो उसके ऊपर का वेग घट जाता है एवं गेंद के नीचे का वेट बढ़ जाता है अतः बरनौली प्रमेय के अनुसार गेंद के ऊपर का दाब अधिक तथा गेंद के नीचे का दाब कम हो जाता है। इस दाब के अंतर के कारण ही गेंद सीधी सरल रेखा में नहीं चल पाती है। फलस्वरुप वह वृत्ताकार पथ पर घूमने लगती है। इसी प्रभाव को मैगनस प्रभाव (Magnus effect in Hindi) कहते हैं।