प्रस्तुत अध्याय के अंतर्गत कक्षा 12 भौतिकी से संबंधित खगोलीय दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता, किरण आरेख, चित्र, संरचना के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
खगोलीय दूरदर्शी
इस (astronomical telescope in hindi) प्रकाशिक यंत्र द्वारा हम दूर स्थित वस्तुओं जैसे आकाशीय पिंड (चांद, तारे आदि) को बड़ा तथा स्पष्ट देख सकते हैं।
संरचना
इसमें धातु की एक लंबी बेलनाकार नली होती है जिसके एक सिरे पर अधिक फोकस दूरी तथा बड़े द्वारक का उत्तल लेंस लगा होता है। जो चित्र में O स्थान पर है। इसे अभिदृश्यक लेंस कहते हैं। तथा नली के दूसरे सिरे पर एक छोटी नली लगी होती है जिसके बाहरी सिरे पर कम फोकस दूरी तथा छोटे द्वारक का उत्तल लेंस लगा होता है। जिसे चित्र में E द्वारा दर्शाया गया है। इसे नेत्रिका या नेत्रिका लेंस कहते हैं।
नेत्रिका की फोकस पर क्रॉस तार लगे रहते हैं। अब दंतुर दंड चक्र द्वारा पूरी नली को आगे पीछे खिसकाकर ऐसी स्थिति प्राप्त करते हैं जिस पर वस्तु का प्रतिबिंब स्पष्ट दिखाई दे।
खगोलीय दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता
(1) जब अंतिम प्रतिबिंब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी D पर बनता हो –
तब आवर्धन क्षमता
\footnotesize \boxed { M = -\frac{f_o}{f_e} ( 1 + \frac{f_e}{D}) }
(2) जब अंतिम प्रतिबिंब अनन्त पर बनता हो –
तब आवर्धन क्षमता
\footnotesize \boxed { M = -\frac{f_o}{f_e} }
इस अवस्था में दूरदर्शी की लंबाई fo + fe होती है।
जहां fo – अभिदृश्यक लेंस की फोकस दूरी तथा fe नेत्रिका की फोकस दूरी है।
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अतः स्पष्ट है कि खगोलीय दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता बढ़ाने के लिए अभिदृश्यक लेंस की फोकस दूरी fo बड़ी तथा नेत्रिका लेंस की फोकस दूरी fe कम होनी चाहिए।