बफर विलयन
वह विलयन जिसमें अम्ल या क्षार की अल्प मात्रा मिलाने पर उसके pH मान में कोई सार्थक परिवर्तन नहीं होता है। उसे बफर विलयन (buffer solutions in Hindi) कहते हैं।
अतः बफर विलयन में अम्ल या क्षार की अल्प मात्रा डालने पर इसका pH मान अपरिवर्तित रहता है। अर्थात् यह विलयन अपने pH मान में किसी भी परिवर्तन का प्रतिरोध करता है।
बफर विलयन के गुण
- बफर विलयन अपने pH मान में होने वाले किसी परिवर्तन का प्रतिरोध करता है।
- बफर विलयन की अम्लता अथवा क्षारकता आरक्षित होती है।
- बफर विलयन का pH मान स्थित रहता है।
पढ़ें… Ka तथा Kb में संबंध | संयुग्मी अम्ल क्षार के वियोजन स्थिरांक में संबंध
बफर विलयन के प्रकार
सामान्यतः बफर विलयन दो प्रकार के होते हैं।
1. अम्लीय बफर
2. क्षारीय बफर
1. अम्लीय बफर
दुर्बल अम्ल तथा उसके किसी प्रबल क्षारक के साथ बने लवण के विलयनों के मिश्रण को अम्लीय बफर कहते हैं।
जैसे – CH3COOH + CH3COONa का मिश्रण एक अम्लीय बफर का उदाहरण है।
2. क्षारीय बफर
दुर्बल क्षारक तथा उसके किसी प्रबल अम्ल के साथ बने लवण के विलयनों के मिश्रण को क्षारीय बफर कहते हैं।
जैसे – NH4OH + NH4Cl का मिश्रण एक क्षारीय बफर का उदाहरण है।
अम्लीय बफर विलयन की क्रियाविधि
माना एक बफर विलयन एसीटिक अम्ल और सोडियम एसीटेट विलयनों के मिश्रण से बनाया गया है। विलयन में सोडियम एसीटेट पूर्णतः आयनित हो जाता है। चूंकि यह एक प्रबल विद्युत अपघट्य है। जबकि एसीटिक अम्ल दुर्बल विद्युत अपघट्य है इसलिए यह विलयन में पूर्णतः आयनित नहीं होता है।
CH3COONa \longrightarrow Na+ + CH3COO–
CH3COOH \rightleftharpoons H+ + CH3COO–
बफर विलयन में HCl की अल्प मात्रा मिलाने पर
CH3COONa + HCl \rightleftharpoons CH3COOH + NaCl
या CH3COO– + H+ \rightleftharpoons CH3COOH
HCl के आयनन से उत्पन्न H+ आयन एसीटेट आयनों CH3COO– से संयोग करके अल्प आयनित अणु CH3COOH बनाता है। जिससे बफर विलयन का H+ आयन सांद्रण अप्रभावित रहता है जिसके फलस्वरूप बफर विलयन का pH मान अपरिवर्तित रहता है।
क्षारीय बफर विलयन की क्रियाविधि
माना एक बफर विलयन अमोनियम हाइड्रोक्साइड और अमोनियम क्लोराइड विलयनों के मिश्रण से बनाया गया है। विलयन में अमोनियम क्लोराइड NH4Cl पूर्णतः आयनित हो जाता है। जबकि अमोनियम हाइड्रोक्साइड NH4OH विलयन में पूर्णतः आयनित नहीं होता है।
NH4Cl \longrightarrow NH4+ + Cl–
NH4OH \rightleftharpoons NH4+ + OH–
बफर विलयन में NaOH की अल्प मात्रा मिलाने पर
NH4Cl + NaOH \rightleftharpoons NH4OH + NaCl
या NH4+ + OH– \rightleftharpoons NH4OH
NaOH के आयनन से उत्पन्न OH– आयन अमोनियम आयनों NH4+ से संयोग करके अल्प आयनित अणु NH4OH बनाता है। जिससे बफर विलयन का OH– आयन सांद्रण अप्रभावित रहता है। जिसके फलस्वरूप बफर विलयन का pH मान अपरिवर्तित रहता है।
बफर विलयन के उपयोग
- ज्ञात स्थिर pH मान के विलयन बनाने में
- सूचको द्वारा विलयनों की pH के निर्धारण में।
- गुणात्मक विश्लेषण में तथा फास्फेट मूलक के निष्कासन में।
Good luck