कार्बन एक सर्वतोमुखी तत्व है। जो सभी जीवों तथा हमारे उपयोग में आने वाली वस्तुओं का आधार है। कार्बन का परमाणु क्रमांक 6 होता है। तथा इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 4 है। इसके बाह्यतम कोश में 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं। यह चारों इलेक्ट्रॉन सहसंयोजी आबंध बनाने में प्रयुक्त होते हैं।
कार्बन की सर्वतोमुखी की प्रकृति
कार्बन में दो कारक देखे गए हैं।
1. श्रृंखलन – कार्बन में अन्य कार्बन के ही परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की एक अद्वितीय क्षमता होती है जिससे अधिक संख्या में अणु बनते हैं कार्बन के इस गुण को श्रृंखलन – कहते हैं।
कार्बन परमाणुओं में एक-दूसरे से बंधन बनाते हुए श्रृंखला बनाने का गुण अन्य तत्वों की तुलना में सबसे अधिक होता है। कार्बन के इस गुण के कारण ही कार्बनिक यौगिकों की संख्या अकार्बनिक यौगिकों की संख्या से अधिक है।
श्रृंखलन का गुण अधातु में भी पाया जाता है। जिस तत्व की सह संयोजकता जितनी अधिक होगी। उसे तत्व में श्रृंखलन का गुण उतना ही अधिक होगा। क्योंकि कार्बन की सह संयोजकता 4 होती है। इसलिए ही इसमें श्रृंखलन का गुण सबसे अधिक होता है।
कार्बन परमाणु एक दूसरे से एकल, द्वि या त्रिक आबंध द्वारा जुड़े हो सकते हैं।
कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एकल आबंध से जुड़े कार्बन के यौगिकों को संतृप्त यौगिक कहते हैं।
द्वि या त्रिक आबंध से जुड़े कार्बन के यौगिकों को असंतृप्त यौगिक कहते हैं।
2. चतु: संयोजकता – कार्बन की संयोजकता 4 होती है जिसके कारण कार्बन 4 अन्य कार्बन परमाणुओं या एक अन्य संयोजी परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की क्षमता होती है। हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, क्लोरीन, नाइट्रोजन और सल्फर अनेक अन्य तत्वों के साथ कार्बन के यौगिकों का निर्माण होता है।
अधिकांश अन्य तत्वों के साथ कार्बन द्वारा बनाए गए आबंध अत्यधिक प्रबल होते हैं। इन आबंध का प्रबल होने का कारण इनका छोटा आकार भी होता है।
कार्बन की सर्वतोमुखी प्रकृति में यही दो कारक मुख्य हैं। अगर इससे संबंधित परीक्षाओं में प्रश्न आता है। तो आप इन दोनों के बारे में ही अच्छे से लिख देना। अगर आपका कोई सुझाव हो या आपको कोई परेशानी हो तो हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।