क्लोरीन क्या है, बनाने की विधि, उपयोग भौतिक व रासायनिक गुण, डीकन, विद्युत अपघटन, प्रयोगशाला विधि

क्लोरीन

क्लोरीन की खोज वैज्ञानिक शीले (Scheele) ने सन् 1774 ई० में HCl पर MnO2 की अभिक्रिया द्वारा की, तथा डेवी ने सन 1810 ई० में यह स्थापित किया कि यह एक तत्व है इसके रंग के आधार पर इसका नाम क्लोरीन (chlorine in Hindi) रखा गया।

क्लोरीन बनाने की विधि

क्लोरीन बनाने की अनेक विधियां हैं लेकिन सभी वीडियो में से कुछ महत्वपूर्ण विधियां हैं जो परीक्षा में भी पूछे जाती हैं। जैसे
Note –
अगर प्रशन में यह आता है कि क्लोरीन बनाने की कोई एक विधि का वर्णन कीजिए? तो आप कोई सी भी विधि लिख सकते हैं जो आपको अच्छी लगती है।

1. क्लोरीन बनाने की प्रयोगशाला विधि

प्रयोगशाला में क्लोरीन को सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल HCl की प्रबल ऑक्सीकारक पदार्थों MnO2, KMnO4, K2Cr2O7 के साथ अभिक्रिया कराने पर क्लोरीन प्राप्त की जा सकती है।
MnO2 + 4HCl \longrightarrow MnCl2 + Cl2 + 2H2O
2KMnO4 + 16HCl \longrightarrow 2KCl + 2MnCl2 + 8H2O + 5Cl2
इस विधि में क्लोरीन निम्न स्तर पर प्राप्त की जाती है। उच्च या औद्योगिक स्तर पर क्लोरीन को निम्न विधियों द्वारा बनाया जाता है।

2. क्लोरीन बनाने की डीकन विधि

यह क्लोरीन के उत्पादन की औद्योगिक विधि है अर्थात इस विधि से क्लोरीन उच्च स्तर पर प्राप्त की जाती है।
इस विधि में हाइड्रोजन क्लोराइड गैस को क्यूप्रिस क्लोराइड (CuCl2) उत्प्रेरक की उपस्थिति में वायुमंडलीय ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकृत करते हैं। जिससे क्लोरीन गैस का निर्माण होता है।
इस विधि को 450°C (723K) ताप पर संपन्न किया जाता है।
4HCl + O2 \xrightarrow [723K] {CuCl_2} \scriptsize \begin{array}{rcl} 2Cl_2 \\ क्लोरीन \end{array} + 2H2O
इस विधि द्वारा क्लोरीन का औद्योगिक उत्पादन किया जाता है। डीकन विधि में वायु की अशुद्धियां शेष रह जाती हैं।

3. क्लोरीन बनाने की विद्युत अपघटनी विधि

शुद्ध तथा शुष्क क्लोरीन के निर्माण की यह आधुनिक विधि है। इस विधि में सोडियम क्लोराइड (नमक) के जलीय विलयन के विद्युतअपघटन द्वारा क्लोरीन एनोड पर प्राप्त होती है। जबकि कैथोड पर सोडियम लवण प्राप्त होता है अर्थात्
एनोड पर 2Cl \longrightarrow Cl2 + 2e
कैथोड पर 2Na+ + 2e \longrightarrow 2Na
2Na + 2H2O \longrightarrow 2NaOH + H2
इस विधि में नेलसन सेल प्रयोग किया जाता है।

क्लोरीन के भौतिक गुण

  1. क्लोरीन हल्के पीले रंग की तीखी गंध वाली गैस है।
  2. यह वायु से लगभग 2.5 गुना भारी गैस है।
  3. यह जल में विलेय है।
  4. यह अत्यधिक विषैली गैस है तथा यह दम घोटने वाली गैस है।

क्लोरीन के रासायनिक गुण

1. क्लोरीन धातुओं तथा अधातुओं के साथ क्रिया के फलस्वरुप क्लोराइड बनाती है।
2Al + 3Cl2 \longrightarrow 2AlCl3
2Na + Cl2 \longrightarrow 2NaCl
2S + Cl2 \longrightarrow S2Cl2

2. क्लोरीन, नाइट्रोजन युक्त यौगिकों के साथ क्रिया करके HCl बनाती है।
H2 + Cl2 \longrightarrow 2HCl
H2S + Cl2 \longrightarrow 2HCl + S

3. क्लोरीन का विरंजक गुण – क्लोरीन एक प्रबल विरंजक है।
H2O + Cl2 \longrightarrow 2HCl + [O]
रंगीन पदार्थ + [O] \longrightarrow रंगहीन पदार्थ
अतः क्लोरीन नमी की उपस्थिति में पदार्थों को विरंजित करती है। यह क्लोरीन के ऑक्सीकारक गुण के कारण होता है।

4. शुष्क बुझे हुए चूने के साथ क्रिया करके क्लोरीन विरंजक चूर्ण बनाती है।
Cl2 + Ca(OH)2 \longrightarrow \scriptsize \begin{array}{rcl} CaOCl_2 \\ विरंजक\,चूर्ण \end{array} + H2O

क्लोरीन के उपयोग

  1. क्लोरीन का उपयोग ब्रोमीन, विरंजक चूर्ण, फास्फीन आदि यौगिकों के निर्माण में किया जाता है।
  2. इसका उपयोग कपास तथा वस्त्रों की विरंजन में किया जाता है।
  3. सोने एवं प्लेटिनम के निष्कर्षण में।
  4. रंजक तथा विस्फोटक के निर्माण में।
  5. कीटाणुनाशक के रूप में।

क्लोरीन संबंधित प्रश्न उत्तर

1. क्लोरीन का परमाणु क्रमांक होता है?
Ans. 17
2. क्लोरीन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्या होता है?
Ans. 1s2 2s2 2p6 3s2 3p5

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