कोलाइडी विलयन क्या है, अवस्था, परिक्षिप्त और परिक्षेपण माध्यम, प्रकार क्रस्टलाभ

वैज्ञानिक थॉमस ग्राहम ने किसी विलायक में विलीन हुए पदार्थों का जंतु झिल्ली पर विसरण का अध्ययन किया। तथा ग्राहम ने विसरण के आधार पर इन पदार्थों को दो वर्गों में वर्गीकृत किया।
1. क्रस्टलाभ
2. कोलाइड

1. क्रस्टलाभ

वह पदार्थ जिनके विलयन जंतु झिल्ली में से शीघ्रता (तेजी) से विसरित हो जाते हैं उन पदार्थों को क्रस्टलाभ (crystalloid in Hindi) कहते हैं।
उदाहरण – नमक, कॉपर सल्फेट, चीनी, यूरिया आदि क्रस्टलाभ के उदाहरण हैं।

2. कोलाइड

वह पदार्थ जिनके विलयन जंतु झिल्ली में से विसरित बहुत धीरे-धीरे होते हैं। या विसरित नहीं होते हैं। उन पदार्थों को कोलाइड (colloids in Hindi) कहते हैं।
उदाहरण – गोंद, शहद, रबर, स्टार्च, ग्लू तथा जिलेटिन आदि कोलाइड के उदाहरण हैं।

आधुनिक धारणा के अनुसार थॉमस ग्राहम के इस वर्गीकरण को उचित नहीं माना गया। क्योंकि क्रस्टलाभ तथा कोलाइड एक ही पदार्थ की दो अवस्थाएं हैं। जिनमें भिन्नता का कारण कणों का आकार है।
अतः कणों के आकार के अनुसार इसे तीन भागों में बांटा गया है।
(i) वास्तविक विलयन
(ii) निलंबन
(iii) कोलाइडी विलयन

i. वास्तविक विलयन

ऐसे विलयन जिनमें विलेय के कणों का आकार 1 nm (10 Å) से छोटा होता है। तो इस प्रकार के विलयनों को वास्तविक विलयन कहते हैं।
वास्तविक विलयन समांगी प्रकृति के होते हैं। एवं इनके कणों को सूक्ष्मदर्शी की सहायता से नहीं देखा जा सकता है।
उदाहरण – नमक का पानी में विलयन, यूरिया का जल में विलयन आदि।

ii. निलम्बन

ऐसे विलयन जिनमें विलेय के कणों का आकार 10-6 मीटर (10-4 cm) से अधिक होता है। तो इस प्रकार के विलयनों को निलम्बन कहते हैं।
निलम्बन विषमांगी प्रकृति के होते हैं। एवं इनके कणों को आंख या सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है।
उदाहरण – जल में बालु (रेत) का निलम्बन।

iii. कोलाइडी विलयन

ऐसे विलयन जिनमें विलेय के कणों का आकार 10-5 से 10-7 सेमी (10-7 – 10-9 m) के मध्य होता है। तो इस प्रकार के विलयनों को कोलाइडी विलयन (colloidal solution in Hindi) कहते हैं।
कोलाइडी विलयन विषमांगी प्रकृति के होते हैं। एवं इन्हें सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है।
उदाहरण – दूध, दही, धुआं, कोहरा, मानव रक्त आदि कोलाइडी विलियन के उदाहरण हैं।

Note –
कोलाइडी विलियन के कणों का आकार NCERT book में 10-9 – 10-6 m (10-7 – 10-4 cm) के बीच होता है।
यह दोनों ही एक जैसे हैं आप ज्यादा परेशान न हों।

कोलाइडी विलयन, वास्तविक विलयन तथा निलंबन के मध्य के होते हैं। इसी आधार पर कोलाइडी विलयनों को दो भागों में बांटा गया है।
अथवा कोलाइडी विलयन की दो प्रावस्थाएं होती है।
(1) परिक्षिप्त प्रावस्था
(2) परिक्षेपण माध्यम

1. परिक्षिप्त प्रावस्था

कोलाइडी विलियन का वह भाग जिसके कणों का आकार 10-5 – 10-7 cm के मध्य होता है। अर्थात जो कोलाइडी कणों का निर्माण करते हैं। उन्हें परिक्षिप्त प्रावस्था कहते हैं।
अतः ऐसे भी कह सकते हैं कि विलेय के कणों की अवस्था को परिक्षिप्त प्रावस्था कहते हैं।

2. परिक्षेपण माध्यम

कोलाइडी विलियन का वह भाग जिसके कणों का आकार 10-7 – 10-8 cm के मध्य होता है। अर्थात जिनमें कोलाइडी कण विसरित रहते हैं। उन्हें परिक्षेपण माध्यम कहते हैं।
अतः ऐसे भी कह सकते हैं कि विलायक के कणों की अवस्था को परिक्षेपण माध्यम कहते हैं।


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