क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत
इस सिद्धांत के अनुसार, धातु लिगेंड आबंध आयनित होते हैं जो धातु आयन तथा लिगेंड के मध्य स्थिर विद्युत अन्योन्य क्रिया द्वारा उत्पन्न होते हैं। जब लिगेंड केंद्रीय धातु परमाणु या आयन के संपर्क में आता है तो केंद्रीय धातु परमाणु के पांच d-कक्षक की ऊर्जा का मान बराबर होता है। अर्थात् ये अपभ्रष्ट अवस्था में होते हैं। परंतु जब किसी संकुल में यह ऋणावेशित क्षेत्र लिगेंड के कारण होता है। तो यह असममित हो जाता है। तथा d-कक्षकों की समभ्रंश अवस्था नष्ट हो जाती है जिसके परिणाम स्वरूप कक्षा का विपाटन हो जाता है। जिसे क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन (crystal field splitting in Hindi) कहते हैं। यह विपाटन क्रिस्टल क्षेत्र की प्रकृति पर निर्भर करता है।
यह दो प्रकार के होते हैं।
1. अष्टफलकीय संकुलों का क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन
एक उपसहसंयोजन यौगिकों में केंद्रीय धातु आयन छः लिगेंड द्वारा घिरा होता है। अष्टफलकीय क्रिस्टल क्षेत्र में d-कक्षकों का विपाटन निम्न प्रकार चित्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
2. चतुष्फलकीय संकुलों का क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन
चतुष्फलकीय उपसहसंयोजन यौगिकों में d-कक्षकों का विपाटन, अष्टफलकीय यौगिकों से विपरीत होता है चित्र से प्रदर्शित किया गया है।
Note – चतुष्फलकीय और अष्टफलकीय संकुलों के क्रिस्टल क्षेत्र में विपाटन से संबंधित चित्र ही आते हैं। इसलिए आप इनके चित्र ही याद रखें, दोनों के चित्र लगभग एक जैसे ही है बस कुछ भिन्नताएं हैं।
स्पेक्ट्रमी रासायनिक श्रेणी
लिगेंडो को उनकी बढ़ती हुई क्षेत्र प्रबलता के क्रम में व्यवस्थित करने पर जो श्रेणी प्राप्त होती है उसे स्पेक्ट्रमी रासायनिक श्रेणी कहती हैं। स्पेक्ट्रमी रासायनिक श्रेणी में लिगेंड का क्रम निम्न प्रकार से होता है।
I– < Br– < SCN– < Cl– < S2- < F– < OH– < C2O42- < H2O < NCS– < EDTA4- < NH3 < en < CN– < CO
दुर्बल तथा प्रबल क्षेत्र लिगेंड में अंतर
1. प्रबल क्षेत्र लिगेंड
वे लिगेंड जिनमें इलेक्ट्रॉनों का युग्मन होता है तथा जो निम्न चक्रण के संकुल यौगिकों का निर्माण करते हैं। उन्हें प्रबल क्षेत्र लिगेंड कहते हैं। इनकी क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा का मान उच्च प्राप्त होता है।
2. दुर्बल क्षेत्र लिगेंड
वे लिगेंड जिनमें इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता है। तथा जो उच्च चक्रण के संकुल यौगिकों का निर्माण करते हैं। उन्हें दुर्बल क्षेत्र लिगेंड कहते हैं। इनकी क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा का मान निम्न प्राप्त होता है।
क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत की सीमाएं
क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत द्वारा उपसहसंयोजन यौगिकों की संरचना, रंग तथा चुंबकीय गुणों की व्याख्या सफलतापूर्वक की जा सकती है। लेकिन फिर भी इसमें कुछ कमियां पाई गई हैं जो निम्न प्रकार से हैं।
1. यह सिद्धांत लिगेंड में कक्षकों को कोई महत्व नहीं देता है।
2. कोई एक निश्चित लिगेंड अधिक विपाटन करता है तथा कोई कम विपाटन करता है। इसकी व्याख्या करने में यह सिद्धांत असमर्थ रहा।
3. इस सिद्धांत की कमियों को लिगेंड क्षेत्र सिद्धांत तथा आण्विक कक्षक सिद्धांत द्वारा दूर किया जा सकता है।