डॉप्लर प्रभाव
जब प्रकाश स्रोत तथा प्रेक्षक के बीच आपेक्षिक गति होती है तो प्रेक्षक (श्रोता) को प्रकाश की आवृत्ति में कुछ बदलाव महसूस होता है। अर्थात्
” जब प्रकाश स्रोत एवं प्रेक्षक के बीच आपेक्षिक गति के कारण प्रकाश स्रोत की आवृत्ति में होने वाले आभासी परिवर्तन की घटना को प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव (Doppler effect in light in Hindi) कहते हैं। “
डॉप्लर प्रभाव के उदाहरण
- बिजली के खंभों पर लगे बल्ब की तरफ जाने पर ऐसा लगता है कि प्रकाश तेज हो रहा है। अर्थात् उसकी आवृत्ति बढ़ रही है। परंतु जब हम इस बल्ब से दूर जाते हैं तो हमें प्रकाश धीमा प्रतीत होता है। अर्थात प्रकाश की आवृत्ति कम हो जाती है इसे ही प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव कहते हैं।
- यदि आप रेलवे प्लेटफार्म पर खड़े हैं तो दूर से हाॅर्न देती आ रही ट्रेन जब आपके पास आती है तो आपको हाॅर्न की आवाज तेज सुनाई देती है। अर्थात ध्वनि ऊंची आवृत्ति की प्रतीत होती है। परंतु जैसे ही ट्रेन आपसे दूर चली जाती है तो आपको उसके हाॅर्न की आवाज़ धीमी सुनाई देती है। अर्थात ध्वनि नीची आवृत्ति की प्रतीत होती है। तो इसे ध्वनि में डॉप्लर प्रभाव कहती हैं।
डॉप्लर विस्थापन
प्रकाश स्रोत तथा प्रेक्षक के बीच दूरी परिवर्तन के कारण, प्रकाश स्रोत से उत्सर्जित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य तथा प्रेक्षक की आभासी तरंगदैर्ध्य के अंतर को डॉप्लर विस्थापन कहते हैं।
अर्थात \footnotesize \boxed { डॉप्लर विस्थापन = (\frac{v}{C}) λ }
जहां v = प्रकाश स्रोत या प्रेक्षक का वेग
C = प्रकाश की चाल
λ = वास्तविक तरंगदैर्ध्य
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डॉप्लर प्रभाव का सूत्र
- जब प्रेक्षक तथा प्रकाश स्रोत के बीच की दूरी घट रही हो, अर्थात् प्रेक्षक व प्रकाश स्रोत एक दूसरे की तरफ आ रहे हों। तो
स्रोत की आभासी आवृत्ति
\footnotesize \boxed { \nu' = \nu \sqrt{ \frac{1 + v/C}{1 - v/C} } }
जहां \large \nu = प्रकाश की वास्तविक आवृत्ति
v = प्रकाश स्रोत या प्रेक्षक की गति
C = प्रकाश की चाल - जब प्रकाश स्रोत तथा प्रेक्षक के बीच की दूरी बढ़ रही हो, अर्थात् प्रेक्षक व प्रकाश स्रोत एक दूसरे की से दूर जा रहे हों। तो
स्रोत की आभासी आवृत्ति
\footnotesize \boxed { \nu' = \nu \sqrt{ \frac{1 - v/C}{1 + v/C} } }
डॉप्लर प्रभाव के उपयोग
- डॉप्लर प्रभाव द्वारा तारो तथा आकाशीय पिंडों की गति का अनुमान लगाया जा सकता है।
- ट्रैफिक पुलिस वाहनों की गति का पता लगाने के लिए एक मशीन का प्रयोग करती है जो डॉप्लर प्रभाव पर आधारित होती है।
- बहुत ऊंचाई पर उड़ रहे हवाई जहाज की गति का पता लगाने में डॉप्लर प्रभाव का प्रयोग होता है।
- चिकित्सा संबंधित क्षेत्रों में भी डॉप्लर प्रभाव का प्रयोग होता है।