एंजाइम
वह ग्लोबुलर (गोलिकाकार) प्रोटीन, जो जीवित तंत्रों में जैव उत्प्रेरक का भांति कार्य करते हैं। उन्हें एंजाइम (enzymes in Hindi) कहते हैं। एंजाइम का निर्माण जीवित कोशिकाओं द्वारा होता है। यह गोलिकाकार प्रोटीन ही होते हैं।
अगर हम कल्पना करें, कि एंजाइम न हो तो जीवित प्रक्रियाएं बहुत धीमी होंगी अगर मानव शरीर की बात करें तो एंजाइम की अनुपस्थिति में एक बार खाए गए भोजन को पचाने में लगभग 50 साल तक का समय लग जाएगा।
सभी एंजाइम सामान्यतः प्रोटीन होते हैं। लेकिन कुछ एंजाइम जैसे रिवोजाइम प्रोटीन नहीं होते हैं। एंजाइम उच्च अणुभार वाले नाइट्रोजन युक्त जटिल कार्बनिक यौगिक होते हैं। जो जीवित कोशिकाओं में उत्पन्न होते हैं।
एंजाइम का नामकरण साधारणतः पद्धति में जिस यौगिक से वह क्रिया करता है। उसके नाम में ase (ऐस) जोड़ देते हैं। जैसे –
माल्टोस के जल अपघटन को माल्टेस एंजाइम उत्प्रेरित करता है।
\scriptsize \begin{array}{rcl} C_{12} H_{22} O_{11} \\ माल्टोस \end{array} \xrightarrow {माल्टेस} \scriptsize \begin{array}{rcl} 2C_6 H_{12} O_6 \\ ग्लूकोस \end{array}
ऐसे ही सुक्रोज में सुक्रेस, स्टार्च (एमाइलम) में एमाइलेज तथा यूरिया पर यूरिऐज क्रिया करता है।
एंजाइम के गुण
- प्रत्येक एंजाइम केवल एक विशिष्ट प्रकार की अभिक्रिया को ही उत्प्रेरित करता है।
- एंजाइम की कार्य क्षमता अत्यधिक होती है इसकी सूक्ष्म मात्रा ही अभिक्रिया को प्रेरित कर देती है।
- एंजाइम की क्रियाशीलता मानव शरीर तापमान लगभग 37°C (310K) पर अधिकतम होती है। इससे नीचे जाने पर अभिक्रिया धीमी हो जाती है।
- एंजाइम की क्रियाशीलता pH मान पर निर्भर करती है। pH मान को बढ़ाने अथवा कम करने पर अभिक्रिया की क्रियाशीलता प्रभावित होती है।
एंजाइम के उपयोग
- दूध से पनीर के निर्माण में एंजाइम का उपयोग होता है।
- पाचन क्रिया में सहायक होता है।
- औषधियों के निर्माण में।
- शराब, मदिरा तथा बीयर आदि में कार्बोहाइड्रेट के किण्वन में एंजाइम प्रयोग होता है।
- पेनिसिलिन तथा इंसुलिन के निर्माण में।
एंजाइम की कमी से रोग
- फेनिल ऐलानीन हाइड्रोक्सिलेज एंजाइम की कमी से फेनिलकीयोन्यूरिया घातक रोग उत्पन्न हो जाता है।
- एंजाइम ट्रायोसिनेज की कमी से ऐल्बीनिज्म रोग उत्पन्न हो जाता है।