ईथर
वह यौगिक जिनमें दो एल्किल अथवा ऐरिल समूह के मध्य एक ऑक्सीजन परमाणु उपस्थित होता है। उस यौगिक को ईथर (ether in Hindi) कहते हैं। ईथर का सामान्य सूत्र R—O—R’ होता है।
यदि ऑक्सीजन परमाणु से जुड़े दोनों एल्किल अथवा ऐरिल समूह एकसमान होते हैं तो उन्हें सममित ईथर कहते हैं। इसके विपरीत जब दोनों एल्किल अथवा ऐरिल समूह भिन्न-भिन्न होते हैं तो उन्हें असममित ईथर कहते हैं। जैसे – CH3—O—CH3 एक सममित ईथर है। जबकि C2H5—O—CH3 असममित ईथर है।
ईथर बनाने की विधि
1. एल्कोहल के निर्जलन से – ईथर जल के डाईऐल्किल व्युत्पन्न होते हैं जो मोनोहाइड्रिक के निर्जलन पर प्राप्त होते हैं।
ROH + HOR’ \xrightarrow {निर्जलन} \scriptsize \begin{array}{rcl} R—O—R’ \\ ईथर \end{array} + H2O
2. विलियमसन् संश्लेषण द्वारा – इस विधि से सममित तथा असममिति दोनों प्रकार के ईथर बनाए जाते हैं। यह ईथर के निर्माण की प्रयोगशाला विधि है इस विधि में हैलोएल्केन की क्रिया सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ कराई जाती है जिससे ईथर प्राप्त होता है।
R—X + R’—ONa \longrightarrow \scriptsize \begin{array}{rcl} R—O—R’ \\ ईथर \end{array} + NaX
C2H5Br + C2H5—ONa \longrightarrow \scriptsize \begin{array}{rcl} C_2H_5—O—C_2H_5 \\ सममित\,ईथर \end{array} + NaBr
C2H5Br + CH3—ONa \longrightarrow \scriptsize \begin{array}{rcl} C_2H_5—O—CH_3 \\ असममित\,ईथर \end{array} + NaBr
ईथर के भौतिक गुण
- ईथर जल में अल्प विलेय है परंतु यह कार्बनिक विलायकों जैसे– क्लोरोफॉर्म, बेंजीन आदि में पूर्ण विलेय है।
- ईथर का घनत्व सामान्यतः अणुभार के बढ़ने के साथ बढ़ता है। सभी ईथर जल से हल्के हैं। चूंकि सभी ईथर का घनत्व 1 से कम होता है।
- ईथर का क्वथनांक समावयवी एल्कोहल की अपेक्षा काफी कम होता है। चूंकि इधर में हाइड्रोजन बंध की अनुपस्थिति पायी जाती है।
ईथर के रासायनिक गुण
1. ईथर को जल के साथ उबालने पर या भाप के साथ अभिक्रिया कराने पर यह जल अपघटित होकर संगत ऐल्कोहॉल का निर्माण करता है।
CH3—O—C2H5 + H—OH \xrightarrow {∆} CH3OH + C2H5OH
2. नाइट्रोकरण – एनिसोल की सांद्र H2SO4 और HNO3 के मिश्रण के साथ क्रिया कराने पर ऑर्थो तथा पैरा नाइट्रो एनिसोल का मिश्रण प्राप्त होता है।
3. फ्रिडेल क्राफ्ट अभिक्रिया – एनिसोल फ्रिडेल क्राफ्ट अभिक्रिया देता है।
ईथर के उपयोग
- ईथर का उपयोग वसा, तेल, रेजिन तथा गोंद के निर्माण में विलायक के रूप में होता है।
- डाईएथिल ईथर का उपयोग शल्य चिकित्सा में निश्चेतक के रूप में किया जाता है।
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