हाइगेंस सिद्धांत के प्रयोग द्वारा तरंगों के परावर्तन की व्याख्या

इस अध्याय के अंतर्गत हाइगेंस के सिद्धांत पर प्रयोग करके परावर्तन के नियमों की व्याख्या करेंगे।
इस तरह के प्रश्न बोर्ड परीक्षा में दीर्घ (Long) उत्तरीय प्रश्न में पूछे जाते हैं। इसलिए इसे जरूर पढ़ें।

हाइगेंस सिद्धांत द्वारा तरंगों की परावर्तन की व्याख्या

माना YY’ एक अपवर्तक पृष्ठ है। जिस पर एक समतल तरंगाग्र AB इस प्रकार आपतित होता है कि तरंग संचरण की किरण परावर्तक पृष्ठ के बिंदु A पर अभिलंब से i कोण बनाती है।

आप जैसे-जैसे तरंगाग्र AB आगे बढ़ता है तो तरंगाग्र परावर्तक पृष्ठ के बिंदुओं A व C के बीच स्थित बिंदुओं से टकराता रहता है। इस प्रकार A तथा C के बीच स्थित सभी बिंदुओं से द्वितीयक गोलीय तरंगिकाएं निकलने लगती हैं। ये तरंगिकाएं परावर्तक पृष्ठ के दूसरे माध्यम में नहीं जाती बल्कि पहले माध्यम में ही v चाल से ऊपर की ओर फैल जाती हैं।

हाइगेंस सिद्धांत के प्रयोग द्वारा तरंगों के परावर्तन की व्याख्या

अतः सबसे पहले बिंदु A से द्वितीयक तरंगिकाएं चलती है। जो t समय में तरंगाग्र के बिंदु B से C तक की दूरी तय करती हैं तथा ठीक इतने ही समय में तरंगाग्र का बिंदु A, AD दूरी तय करके बिंदु D तक पहुंचता है। अतः
AD = vt
या BC = vt

अब तरंगाग्र के बिंदु A को केंद्र मानकर AD त्रिज्या का एक गोलीय चाप खींचते हैं। तथा बिंदु C से इस चाप पर एक स्पर्श रेखा खींच देते हैं इस प्रकार AD सभी द्वितीयक तरंगिकाओं को स्पर्श करेगा। अतः CD परावर्तित तरंगाग्र होगा।

समकोण त्रिभुज ABC तथा ADC में
BC = AD    (चूंकि दोनों vt के बराबर हैं)
समकोण त्रिभुज के नियम से
∠ABC = ∠ADC
अतः भुजा AC, त्रिभुज ABC तथा ADC दोनों में इसलिए भुजा AC एक उभयनिष्ठ भुजा है इस प्रकार दोनों त्रिभुज सर्वांगसम त्रिभुज है। अतः
∠DAC = ∠DCA
अर्थात् \footnotesize \boxed { अपवर्तन कोण i = परावर्तन कोण r }

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इससे स्पष्ट है कि आपतित तरंगाग्र AB, परावर्तित तरंगाग्र CD तथा परावर्तक पृष्ठ YY’ के साथ बराबर कोण बनाता है।
तथा चित्र द्वारा यह भी स्पष्ट है कि आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलंब तीनों एक ही तल में है इस प्रकार इस परिभाषा से परावर्तन के दोनों नियम सत्य है।


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