एल्युमिनियम प्रकृति में संयुक्त अवस्था में पाया जाता है। पृथ्वी के भू-पर्पटी भाग में एल्युमीनियम सबसे अधिक पायी जाने वाली धातुओं में तीसरे स्थान पर पाया जाता है।
एल्युमीनियम के प्रमुख अयस्क निम्न प्रकार हैं।
(i) बॉक्साइट – Al2O3•2H2O
(ii) कोरन्डम – Al2O3
(iii) डायस्पोर – Al2O3•H2O
(iv) क्रायोलाइट – Na3AlF6
एल्युमिनियम का निष्कर्षण
एलुमिनियम का निष्कर्षण निम्न पदों में होता है।
1. अयस्क का सांद्रण (शोधन)
Al का शोधन बॉक्साइट अयस्क से किया जाता है। बॉक्साइट अयस्क में अशुद्धि के रूप में Fe2O3 तथा SiO2 उपस्थित होते हैं। बॉक्साइट के शोधन में यह दूर हो जाती हैं। इसका सांद्रण तीन प्रक्रम (विधियों) द्वारा होता है।
(a) हॉल प्रक्रम
जब बॉक्साइड में Fe2O3 तथा SiO2 की अशुद्धियां अधिक मात्रा में होती है तब यह प्रक्रम प्रयोग किया जाता है।
इसमें बॉक्साइट को बारीक पीसकर सोडियम कार्बोनेट के साथ प्रगलित करते हैं जिसके फलस्वरूप सोडियम मेटा एलुमिनेट बनता है।
\footnotesize \begin{array}{rcl} Al_2O_3 \\ बॉक्साइड \end{array} + \footnotesize \begin{array}{rcl} Na_2CO_3 \\ सोडियम\,कार्बोनेट \end{array} \longrightarrow \footnotesize \begin{array}{rcl} 2NaAlO_2 \\ सोडियम\,मेटा\,एलुमिनेट \end{array} + CO2
प्रगलित सोडियम मेटा एलुमिनेट को जल से धोने पर NaAlO2 घुल जाता है और अशुद्धियां अविलेय होने के कारण ऊपर रह जाती हैं जिन्हें छानकर अलग कर दिया जाता है। अब शेष द्रव का ताप 50-60°C करके उसमें CO2 गैस प्रवाहित की जाती है जिससे एल्यूमीनियम हाइड्रोक्साइड Al(OH)3 अवक्षेपित हो जाता है इसे छानकर सुखा लेते हैं। सूखे Al(OH)3 को 1200°C पर गर्म करने से शुद्ध एलुमिना प्राप्त होता है।
2NaAlO2 + 3H2O + CO2 \longrightarrow 2Al(OH)3 ↓ + Na2CO3
2Al(OH)3 \xrightarrow{1200°C} \footnotesize \begin{array}{rcl} Al_2O_3 \\ एलुमिना \end{array} + 3H2O
(b) वेयर प्रक्रम
इसमें बॉक्साइट को 150°C ताप पर तथा 80 वायुमंडलीय दाब पर NaoH का विलयन डालकर गर्म करते हैं जिससे सोडियम मेटा एलुमिनेट प्राप्त होता है।
Al2O3 + 2NaoH \longrightarrow 2NaAlO2 + H2O
अब अविलेय अशुद्धियों को छानकर अलग कर लेते हैं। तथा विलयन में जल मिलाकर थोड़ा ताजा अवक्षेपित Al(OH)3 डाल देते हैं जिससे NaAlO2 जल अपघटित होकर Al(OH)3 का अवक्षेप बन जाता है।
NaAlO2 + 2H2O \longrightarrow Al(OH)3 ↓ + NaOH
अब अवक्षेप को छानकर, गर्म करने पर एलुमिना प्राप्त होता है।
2Al(OH)3 \longrightarrow Al2O3 + 3H2O
(c) सर्पेक प्रक्रम
इसमें बॉक्साइट को कोक (कार्बन) के साथ मिलाकर 1800°C ताप पर नाइट्रोजन गैस की उपस्थिति में गर्म करते हैं जिसके फलस्वरूप एल्युमीनियम नाइट्राइड (AlN) बनता है।
Al2O3•2H2O + 2C + N2 \xrightarrow{1800°C} 2AlN + 2H2O + 2CO2 ↑
और सिलिका अपचयित होकर सिलिकन में बदल जाती है।
SiO2 + 2C \longrightarrow Si ↓ + 2CO
अब AlN का जल अपघटन करके Al(OH)3 का अवक्षेप प्राप्त होता है।
AlN + 3H2O \longrightarrow Al(OH)3 ↓ + NH3 ↑
इस अवक्षेप को छानकर, सुखने के बाद गर्म करने पर Al2O3 प्राप्त होता है।
2Al(OH)3 \longrightarrow Al2O3 + 3H2O
2. एलुमिना का विद्युत अपघटन
इस विधि को वैज्ञानिक हॉल व हैराॅल्ट ने ज्ञात किया था जिस कारण इसे हॉल-हैराॅल्ट प्रक्रम भी कहते हैं।
इसमें एलुमिना के विद्युत अपघटन से कैथोड पर Al तथा एनोड पर O2 प्राप्त होती हैं जिसे बाहर निकाल देते हैं।
कैथोड पर Al3+ + 3e– \longrightarrow Al (अपचयन)
एनोड पर C + O2- \longrightarrow CO + 2e–
C + 2O2- \longrightarrow CO2 + 4e–
इस प्रक्रम में 99% शुद्ध एल्युमिनियम प्राप्त होता है।
एल्युमीनियम के उपयोग
- एल्युमीनियम का उपयोग विद्युत उपकरण, केबिल आदि बनाने में किया जाता है।
- एल्युमीनियम का उपयोग घरेलू बर्तनों के निर्माण में किया जाता है
- एल्युमिनियम का उपयोग वाहनों के पुर्जे बनाने में किया जाता है।
- इसका उपयोग सजावटी वस्तुएं आदि बनाने में किया जाता है।
- लोहे के लेपन में तथा सिल्वर पेंट बनाने में प्रयोग होता है।