जिंक (जस्ता) प्रकृति में संयुक्त अवस्था में पाया जाता है। मुक्त अवस्था में यह नहीं पायी जाती है।
जिंक के मुख्य अयस्क निम्न प्रकार से हैं।
(i) जिंक ऑक्साइड – ZnO
(ii) जिंक ब्लैंडी – ZnS
(iii) कैलेमाइन – ZnCO3
जिंक का निष्कर्षण
जिंक का निष्कर्षण निम्न पदों में होता है।
1. अयस्क का सांद्रण
जिंक अयस्क का सांद्रण चुंबकीय पृथक्करण विधि एवं झाग प्लवन विधि द्वारा किया जाता है। इन दोनों विधियों के बारे में हम पहले ही पढ़ चुके हैं।
जब अयस्क में आयरन ऑक्साइड की अशुद्धियां उपस्थित होती हैं तो इन्हें चुंबकीय पृथक्करण विधि द्वारा अलग कर लेते हैं इस प्रकार जिंक ब्लेंड अयस्क का सांद्रण हो जाता है।
2. अयस्क का भर्जन
सांद्रित अयस्क का वायु की अधिकता में भर्जन किया जाता है तब जिंक ऑक्साइड प्राप्त होता है।
\footnotesize \begin{array}{rcl} ZnS \\ जिंक\,ब्लैंडी \end{array} 3O2 \xrightarrow{∆} \footnotesize \begin{array}{rcl} ZnO \\ जिंक\,ऑक्साइड \end{array} + 2SO2
3. अयस्क का अपचयन
भर्जन क्रिया से प्राप्त जिंक ऑक्साइड का कोक (कार्बन) के साथ मिश्रण को गर्म किया जाता है जिसके फलस्वरूप जिंक ऑक्साइड जिंक धातु में अपचयित हो जाती है।
ZnO + C \xrightarrow{1400°C} Zn + CO
इस प्रकार प्राप्त धातु को आसवित कर तथा तीव्र शीतलन द्वारा एकत्र कर लेते हैं।
Note –
छात्र ध्यान दें – कि
ZnO + C \xrightarrow{1400°C}
कहीं आपने 1400°C लिखा देखा होगा, तो कहीं 1673K देखा होगा। तो हम आपको बता दें कि यह दोनों ही ठीक हैं।
चूंकि 1°C = 273K
अतः 1400°C = 1673K
इसलिए जहां भी ताप लिखा हो तो वहां देख लें, कि केल्विन में है या सेल्सियस में।
जिंक के उपयोग
जिंक का उपयोग आयरन पर पतली परत चढ़ाने में किया जाता है जिससे आयरन में जंग नहीं लगती है यह प्रक्रिया गैल्वनीकरण कहलाती है।
जिंक का प्रयोग अनेक मिश्रधातुओं के निर्माण में किया जाता है। जैसे – पीतल, जर्मन सिल्वर आदि।
जिनका उपयोग बैटरीयां बनाने में किया जाता है।