अधिशोषण समतापी वक्र
स्थिर ताप पर अधिशोषण की मात्रा एवं अधिशोष्य गैस के दाब के बीच खींचे गए वक्र को अधिशोषण समतापी वक्र कहते हैं।
सन 1909 ई० में वैज्ञानिक फ्रेंडलिक ने अधिशोषण समतापी वक्र पर एक संबंध बताया जिसे फ्रेंडलिक अधिशोषण समतापी वक्र (freundlich adsorption isotherm in Hindi) कहते हैं।
फ्रेंडलिक अधिशोषण समतापी
स्थिर ताप पर अधिशोषक द्वारा अधिशोषित गैस की मात्रा पर दाब के साथ परिवर्तन एवं वक्र के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। जिसे अधिशोषण समतापी वक्र कहते हैं।
यदि स्थिर ताप पर किसी अधिशोषक के एकांक द्रव्यमान m पर अधिशोषित पदार्थ की मात्रा x उसके समय दाब P के समानुपाती होती है। अर्थात्
\large \frac{x}{m} ∝ P1/n
या \footnotesize \boxed { \frac{x}{m} = kP^{1/n} }
जहां k एक नियतांक है जिसे अधिशोषण स्थिरांक कहते हैं। यह गैस की प्रकृति तथा ताप पर निर्भर करता है इस समीकरण को फ्रेंडलिक समतापी का व्यंजक कहते हैं।
उपरोक्त समीकरण में log लेने पर
log \large \frac{x}{m} = logkP1/n
या \footnotesize \boxed { log_{10} \frac{x}{m} = log_{10} k + \frac{1}{n} log P }
इस समीकरण की y = mx+ c से तुलना करने पर तथा log10 \large \frac{x}{m} तथा logP के मध्य ग्राफ खींचने पर एक सीधी सरल रेखा प्राप्त होती है। जिसकी प्रवणता 1/n तथा अन्तः खंड log10k प्राप्त होती है। अतः इस प्रकार इसका ग्राफ निम्न प्रकार होता है।
जहां x = अधिशोषित गैस की मात्रा
m = अधिशोषक का द्रव्यमान
P = साम्य अवस्था में गैस का दाब
n, k = स्थिरांक हैं।
फ्रेंडलिक अधिशोषण समतापी की सीमाएं
- n तथा k अधिशोषण स्थिरांक हैं जिसका मान ताप पर निर्भर करता है।
- यह समतापी एक अनुभाविक है जिसकी कोई सैद्धांतिक भूमिका नहीं है।
- समतापी वक्र, एक सीधी सरल रेखा प्राप्त होती है यह सरल रेखा केवल कम दाब पर ही प्राप्त होती है। उच्च दाब पर रेखा में थोड़ी वक्रता पायी जाती है।
Sir please hindi notes all subjects
Please 🙏🙏🙏