हैलोएरीन
एरोमेटिक हाइड्रोकार्बनों के वह हैलोजन व्युत्पन्न जिनमें हैलोजन परमाणु एक एरोमेटिक रिंग के कार्बन परमाणु से जुड़ा होता है। तो इन्हें हैलोएरीन (haloarenes in Hindi) कहते हैं। एवं इसे एरिल हैलाइड भी कहा जाता है।
जब एरोमेटिक रिंग से जुड़ी पार्श्व श्रंखला में एक, दो अथवा अधिक हैलोजन परमाणुओं की संख्या के आधार पर इन्हें मोनो, डाई अथवा ट्राई हैलोएरीन कहते हैं।
जहां X = हैलोजन (Cl, B, I, Br) को प्रदर्शित करता है।
Note – बेंजीन को दो तरीके से लिखा जा सकता है दोनों में से आपको जो पसंद हो, आप उस तरीके से लिख सकते हैं दोनों ही सही हैं।
हैलोएरीन बनाने की विधियां
1. बेंजीन से –
2. ऐमीन को 273K ताप पर नाइट्रस अम्ल (NaNO2 + HCl) के साथ क्रिया कराने पर डाईऐजोनियम लवण बनते हैं।
बेंजीन, डाईऐजोनियम क्लोराइड लवण को क्यूप्रस क्लोराइड के विलयन में मिलाने पर डाईऐजोनियम समूह–Cl प्रतिस्थापित हो जाता है।
3. फिनोल द्वारा भी हैलोएरीन का निर्माण किया जाता है।
हैलोएरीन के भौतिक गुण
- हैलोएरीन के गलनांक और क्वथनांक समान एरिल समूह होने पर हैलोजन परमाणु के आकार में वृद्धि के साथ बढ़ते जाते हैं। पैरा–समावयवी का, ऑर्थो तथा मेटा समावयवी की तुलना में उच्च गलनांक होता है।
- हैलोएरीन रंगहीन द्रव या क्रिस्टलीय ठोस होते हैं। क्लोरोबेंजीन एक रंगहीन द्रव है।
- हैलोएरीन के घनत्व, हैलोजन परमाणु के आकार में वृद्धि के साथ ही बढ़ते जाते हैं। हैलोएरीन जल की तुलना में भारी होते हैं।
- हैलोएरीन भी हैलोएल्केन की तरह ही जल में अविलेय हैं लेकिन यह कार्बनिक विलायकों में विलेय होते हैं।
- हैलोएरीन का जल में अविलेयता का कारण यह है कि यह जल के अणुओं के साथ हाइड्रोजन बंध नहीं बनाते हैं। और न ही उसमें पहले से उपस्थित हाइड्रोजन बंध को तोड़ पाते हैं।
हैलोएरीन के रासायनिक गुण
(a) इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया –
\scriptsize \begin{array}{rcl} C_6H_6 \\ बेंजीन \end{array} + Cl2 \xrightarrow {निर्जल\,FeCl_3} \scriptsize \begin{array}{rcl} C_6H_5Cl \\ क्लोरोबेंजीन \end{array} + HCl
(b) हैलोएरीन की नाइट्रिक अम्ल के साथ सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में क्रिया कराने पर नाइट्रो व्युत्पन्न बनते हैं।
(c) हैलोएरीन को सांद्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर सल्फोनीकरण क्रिया होती है।
(d) एल्किल हैलाइड तथा एरिल हैलाइड के मिश्रण को शुष्क ईथर की उपस्थिति में सोडियम के साथ गर्म करने पर एल्किलएरीन बनते हैं। इसे वुर्ट्ज फिटिंग अभिक्रिया कहते हैं।
जहां R – एल्किल समूह तथा X – हैलोजन को व्यक्त करता है।
हैलोएरीन के उपयोग
- हैलोएरीन (क्लोरोबेंजीन) का उपयोग फिनाॅल, ऐनिलीन के निर्माण में किया जाता है।
- D.D.T. के औद्योगिक निर्माण में क्लोरोबेंजीन का उपयोग किया जाता है।
- D.D.T. का उपयोग कीटनाशक के रूप में किया जाता है।
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