प्रतिबल क्या है इसके बारे में हम पढ़ चुके हैं एवं विकृति किसे कहते हैं इसका भी हम अध्ययन कर चुके हैं।
साम्यावस्था में किसी वस्तु के एकांक क्षेत्रफल पर कार्य करने वाले आंतरिक प्रतिक्रिया बल को वस्तु का प्रतिबल कहते हैं।
यदि किसी वस्तु का क्षेत्रफल A तथा उस पर आरोपित प्रतिक्रिया बल F हो तो प्रतिबल की परिभाषा से
प्रतिबल = \frac{F}{A}
किसी वस्तु में उत्पन्न प्रतिबल इस बात पर निर्भर करता है कि वस्तु पर बाह्य बल किस प्रकार का है इसी के आधार पर प्रतिबल को तीन भागों में बांटा गया है।
जब किसी वस्तु पर विरुपक बल लगाया जाता है तो वस्तु के आकार अथवा रूप (आकृति) में परिवर्तन हो जाता है एवं वस्तु के आयतन में कोई परिवर्तन नहीं होता है आयतन अपरिवर्तित रहता है। इस प्रकार वस्तु विकृत अवस्था में आ जाती है। अर्थात वस्तु के आकार अथवा आकृति में होने वाले निम्नतम परिवर्तन को वस्तु की विकृति कहते हैं।
चूंकि विकृति, एक अनुपात है अतः इसका कोई मात्रक नहीं होता है इसी कारण इसका विमीय सूत्र भी नहीं होता है।
हुक का नियम
प्रत्यास्थता की सीमा के भीतर किसी वस्तु पर कार्यरत प्रतिबल सदैव विकृति के अनुक्रमानुपाती होता है। यही हुक का नियम (Hooke’s law in Hindi) है। अर्थात
प्रतिबल ∝ विकृति
प्रतिबल = E × विकृति
जहां E एक अनुक्रमानुपाती नियतांक है जिसे प्रत्यास्थता गुणांक कहते हैं। अर्थात
E = \frac{प्रतिबल}{विकृति}
अतः किसी वस्तु पर आरोपित प्रतिबल एवं उसमें उत्पन्न विकृति के अनुपात को प्रत्यास्थता गुणांक कहते हैं।
प्रत्यास्थता गुणांक का मान वस्तु के प्रतिबल एवं विकृति पर निर्भर करता है।
प्रत्यास्थता गुणांक का मान जितना अधिक होगा वस्तु उतनी ही अधिक प्रत्यास्थ होगी।
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प्रत्यास्थता गुणांक क्या है इसको हमने एक अलग अध्याय में तैयार किया है इसके सभी प्रकार, बिंदु, परिभाषा आदि सभी इसमें दिया गया है। इसका सीधा लिंक नीचे दिया गया है आप वहां जाकर यह अध्याय पढ़ सकते हैं।
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