मनुष्य का पाचन तंत्र
भोजन को चबाना एवं चबाए हुए भोजन को निगलना तथा निकले हुए भोजन को पचाना तथा अपच भोजन को बाहर त्यागना आदि सभी क्रियाएं पाचक तंत्र द्वारा होती हैं। मुख से लेकर गुदा द्वार तक भोजन के संपूर्ण मार्ग को आहार नाल कहते हैं। Human digestive system in Hindi को समझते हैं।
आहार नाल को निम्नलिखित भाग में बांटा जा सकता है।
1. मुख
2. ग्रसिका या ग्रासनली
3. आमाशय
4. क्षुद्रांत्र
5. बृहद्रांत्र
![मनुष्य का पाचन तंत्र मनुष्य का पाचन तंत्र](https://studynagar.com/wp-content/uploads/2023/09/मनुष्य-का-पाचन-तंत्र.jpg)
1. मुख
मुख जिस गुहा में खुलता है उसे मुखगुहा कहते हैं। इस गुहा का आधार पेशीय जिह्वा का बना होता है। ये जिह्वा भोजन को निगलने में मदद करती है। मुख में 32 दांत होते हैं प्रत्येक जबड़े के सामने दो-दो कृन्तक फिर एक-एक रदनक फिर दो-दो अग्रचर्वणक एवं इसके बाद तीन-तीन चर्वणक होते हैं। साधारण भाषा में अग्रचर्वणक और चर्वणक दांतों को दाढ़ कहते हैं।
पढ़ें… उत्सर्जन तंत्र किसे कहते हैं, अंग, परिभाषा | मानव उत्सर्जन तंत्र का सचित्र वर्णन
पढ़ें… मानव मस्तिष्क नोट्स, भाग और उनके कार्य क्या है, अग्र, मध्य, पश्च मस्तिष्क PDF
2. ग्रसिका या ग्रासनली
यह श्वास नली के नीचे स्थित होती है। इसमें कोई पाचन नहीं होता है ग्रासनली केवल संवहन मार्ग का कार्य करती है। यह डायाफार्म को भेदकर उदर गुहा में स्थित आमाशय में खुलती है।
3. आमाशय
यह J-आकार के एक थैली के समान होता है भोजन नली का अंतिम सिरा आमाशय से जुड़ा होता है। जिसकी सहायता से भोजन आमाशय में पहुंचता है। आमाशय में भोजन 3-4 घंटे तक रहता है यहां भोजन का मंथन तथा आंशिक पाचन होता है। आमाशय की दीवार में जठर ग्रंथियां होती हैं जिनमें से जठर रस स्त्रावित होता है।
आमाशय के कार्य –
• भोजन का पाचन
• भोजन का संग्रह
• भोजन को पतला, लेई के समान बनना
• भोजन के साथ शरीर में प्रवेश किया जीवाणुओं का विनाश
4. क्षुद्रांत्र
यह ग्रहणी के निचले भाग से प्रारंभ होती है। यह नली 6-7 मीटर लंबी होती है। भोजन के अधिकांश भाग का पाचन ग्रहणी में हो जाता है। फिर अवशेष भोजन का पाचन क्षुद्रांत्र (छोटी आंत) में होता है। क्षुद्रांत्र की भित्ति पर पाचन ग्रंथियां होती हैं जिनसे आन्त्रीय रस निकलता है। एक दिन में मनुष्य की आंत से लगभग 6-7 लीटर आन्त्रीय रस का स्त्रावण होता है। छोटी आंत को ही क्षुद्रांत्र कहा जाता है।
5. बृहद्रांत्र
बृहद्रांत्र (बड़ी आंत) अधिक चौड़ी होती है किंतु लंबाई में छोटी होती है। क्षुद्रांत्र से बचा हुआ अपशिष्ट भोजन बड़ी आंत में प्रवेश करता है बड़ी आंत की दीवारों में भोजन के कुछ लवणों तथा जल का अवशोषण हो जाता है। शेष अपशिष्ट भोजन मल के रूप में मलाशय में एकत्र होता रहता है। मलाशय का अंतिम भाग छल्लेदार मांसपेशियों का बना होता है इसके बाहर खुलने वाले छिद्र को गुदा द्वार कहते हैं। मलाशय में एकत्र मल समय-समय पर गुदा द्वार से बाहर निकल जाता है।