हाइगेंस का द्वितीयक तरंग सिद्धांत क्या है | अपवर्तन तथा परिवर्तन की व्याख्या

प्रस्तुत अध्याय के अंतर्गत हाइगेंस का तरंग सिद्धांत के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। एवं इसकी परिकल्पना, नियम, सफलता और असफलता पर भी नजर डालेंगे।

हाइगेंस का तरंग सिद्धांत huygens wave theory in hindi

इस सिद्धांत के अनुसार, प्रकाश तरंगों के रूप में गमन करता है प्रकाश स्रोत से निकलकर ये तरंगे चारों (सभी) दिशाओं में निर्वात में प्रकाश की चाल से चलती है। चूंकि प्रकाश तरंगों का संचरण होने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। इसलिए वैज्ञानिक हाइगेंस ने एक ऐसे सभी गुण वाले माध्यम ‘ ईथर (ether) ‘ की कल्पना की। क्योंकि इसमें प्रकाश तरंग के संचरण होने के सभी गुण होते हैं तथा ईथर लगभग भारहीन होता है।

निर्वात में प्रकाश की चाल 3 × 108 मीटर/सेकंड होती है। अतः ईथर का घनत्व बहुत कम होता है। एवं प्रत्यास्थता का गुण बहुत अधिक होता है तथा यह किसी भी माध्यम में प्रवेश कर सकता है। इस प्रकार के माध्यम में प्रकाश तरंगें अधिक से चलती हैं।
जब यह तरंगे हमारी आंख के रेटिना पर गिरती है तो हमें वस्तु दिखाई देने लगती है।

हाइगेंस का द्वितीयक तरंगिकाओं का सिद्धांत

वैज्ञानिक हाइगेंस ने अपने सिद्धांत की परिकल्पना दी। जो निम्न है –

  1. किसी माध्यम में स्थित प्रकाश स्रोत से जब तरंगे निकलती है तो स्रोत के सभी दिशाओं में स्थित माध्यम के कण गति (कंपन) करने लगते हैं। माध्यम का वह पृष्ठ जिसमें स्थित सभी कण समान कला में कंपन करते हैं तो उस पृष्ठ को तरंगाग्र कहते हैं।
    जब तरंग स्रोत से तरंग की दूरी बहुत अधिक हो जाती है तब तरंगाग्र समतल हो जाता है।
  2. तरंगाग्र पर जितने भी माध्यम के कण उपस्थित होते हैं वह सभी कण एक नवीन (नए) तरंग स्रोत का कार्य करते हैं। इन नए तरंग स्रोत से सभी दिशाओं में तरंगे गमन करती हैं इन तरंगों को द्वितीयक तरंगिकाएं (huygens theory of secondary waves in hindi) कहते हैं। माध्यम में द्वितीयक तरंगिकाओं की चाल प्राथमिक तरंगों की चाल के बराबर ही होती है अर्थात् ये दोनों तरंगे समान चाल से चलती हैं।
  3. यदि किसी समय गमन करती हुई द्वितीयक तरंगिकाओं का आवरण (envelope) या उन्हें स्पर्श करता हुआ पृष्ठ अगर खींचते हैं। तो यह आवरण उस समय तरंगाग्र की नई स्थिति प्रदर्शित करता है।

हाइगेंस के सिद्धांत की सफलताएं

  1. इस सिद्धांत द्वारा प्रकाश के अपवर्तन तथा परावर्तन के नियमों की व्याख्या की जा सकती है।
  2. इस सिद्धांत द्वारा प्रकाश के व्यतिकरण तथा विवर्तन की व्याख्या भी की जा सकती है।

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हाइगेंस के सिद्धांत की असफलताएं

  1. इस सिद्धांत में प्रकाश को अनुदैर्ध्य माना गया, जिस कारण यह सिद्धांत प्रकाश के ध्रुवण की व्याख्या नहीं कर सका।
  2. इस सिद्धांत द्वारा प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या नहीं की जा सकी।

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StudyNagar

हेलो छात्रों, मेरा नाम अमन है। Physics, Chemistry और Mathematics मेरे पसंदीदा विषयों में से एक हैं। मुझे पढ़ना और पढ़ाना बहुत ज्यादा अच्छा लगता है। मैंने 2019 में इंटरमीडिएट की परीक्षा को उत्तीर्ण किया। और 2022 में इलेक्ट्रीकल ब्रांच से पॉलिटेक्निक को पूरा किया। इसलिए ही मैं studynagar.com वेबसाइट के माध्यम से आप सभी छात्रों तक अपने विचारों को आसान भाषा में सरलता से उपलब्ध कराने के लिए तैयार हूं। धन्यवाद

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