प्रस्तुत लेख के अंतर्गत हम कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जीवन परिचय, रचनाएं, भाषा शैली और साहित्यिक परिचय पर चर्चा करेंगे।
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जीवन परिचय
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जन्म सन् 1906 ई० में सहारनपुर जिले में स्थित देवबंद नामक ग्राम के एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रमादत्त मिश्र था। जो कर्मकाण्डी ब्राह्मण थे। इनकी माता का स्वभाव बड़ा कर्कश और उग्र था।
जन्म | सन् 1906 ई० में |
जन्म स्थान | सहारनपुर के देवबंद नामक ग्राम में |
पिता का नाम | श्री रमादत्त मिश्र |
सम्पादन | नया जीवन और विकास |
प्रमुख विधाएं | लघुकथा, संस्मरण, रेखाचित्र और रिपोतार्ज |
रचनाएं | आकाश के तारे, धरती के फूल, माटी हो गयी सोना, जिंदगी मुस्कुरायी, बाजे पायलिया के घुॅंघरू आदि |
मृत्यु | 9 मई सन् 1995 को |
प्रभाकर जी के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण इनकी प्रारम्भिक शिक्षा भली प्रकार नहीं चल पाई। इन्होंने स्वाध्याय से ही हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा का गहन अध्ययन किया।
बाद में प्रभाकर जी, खुर्जा के संस्कृत विद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। तब इन्होंने प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता मौलाना आसिफ अली का भाषण सुना। जिससे प्रभावित होकर प्रभाकर जी परीक्षा छोड़कर स्वतंत्रता आन्दोलन में कूद पड़े एवं इन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा को समर्पित कर दिया।
स्वतन्त्रता के पश्चात प्रभाकर जी पत्रकारिता में लग गए। एवं साहित्य की सेवा करते हुए इस महान साहित्यकार का 9 मई सन् 1995 को निधन हो गया।
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की रचनाएं
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी की लघुकथा, संस्मरण, रेखाचित्र और रिपोतार्ज आदि गद्य विधाओं पर रचनाएं निम्नलिखित हैं।
- रेखाचित्र → माटी हो गयी सोना, भूले बिसरे चेहरे, जिंदगी मुस्कुरायी।
- लघुकथा → आकाश के तारे, धरती के फूल।
- संस्मरण → दीप जले शंख बजे।
- ललित निबंध → क्षण बोले कण मुस्काये, बाजे पायलिया के घुंघरू।
- सम्पादन → नया जीवन और विकास
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का साहित्यिक परिचय
प्रभाकर जी का रेखाचित्र, लघुकथा, संस्मरण, रिपोतार्ज के उल्लेखनीय साहित्यकारों में महत्वपूर्ण स्थान है। यह एक आदर्शवादी पत्रकार रहे हैं। इन्होंने ‘नया जीवन’ और ‘विकास’ नामक दो प्रसिद्ध पत्रकारों का सम्पादन किया। इन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई है।
इनकी रचनाओं में कलागत, आत्मपरकता, चित्रात्मकता तथा संस्मरणात्मकता की प्रमुखता झलकती है। इनके व्यक्तित्व की दृढ़ता, विचारों की सत्यता, सह्रदयता, उदारता की प्रमुखता इनकी रचनाओं में दिखाई पड़ती है। प्रभाकर जी अपने विचारों में उदार, राष्ट्रवादी और मानवतावादी हैं। इस प्रकार प्रभाकर जी ने अपनी सेवाओं से हिंदी साहित्य को गौरवान्वित किया है।
कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर की भाषा शैली
प्रभाकर जी की भाषा सामान्यतः तत्सम शब्द प्रधान, शुद्ध और खड़ीबोली है। इनकी भाषा में देशज शब्दों तथा मुहावरों के साथ उर्दू व अंग्रेजी आदि भाषाओं के शब्दों का प्रयोग भी किया गया है। कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ की भाषा में सरलता, मार्मिकता, चुटीलापन एवं व्यंग्यात्मकता की क्षमता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। तथा ये भावों को व्यक्त करने में पूर्ण समर्थ हैं।
प्रभाकर जी ने अपनी रचनाओं में विभिन्न प्रकार की शैलियों को प्रयुक्त किया है। मुख्यतः उनकी रचनाओं में वर्णनात्मकता, भावात्मकता और नाटकीय शैली की प्रमुखता दिखाई देती है।
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का साहित्य में स्थान
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ ने महान गद्यकार के रूप में हिंदी साहित्य की सेवा की है। इन्होंने अनेक गद्य विधाओं पर रचनाएं लिखी हैं। इनके लेखों में देश-प्रेम, मानवीय निष्ठा के विभिन्न रूप मिलते हैं। इनके विचार मौलिक हैं तथा रचनाओं में कलागत, आत्मपरकता, चित्रात्मकता और संस्मरणात्मकता दिखाई देती है।
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी को विभिन्न दृष्टियों से एक प्रतिष्ठ एवं समृद्ध गद्यकार के रूप में तथा हिंदी साहित्य में अपने महान कृतित्व के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा।
सम्बन्धित प्रश्न उत्तर FAQ
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जन्म कब और कहां हुआ था?
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जन्म सन् 1906 ई० में सहारनपुर जिले में स्थित देवबंद नामक ग्राम में हुआ था।
जिंदगी मुस्कुराई के लेखक कौन है?
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर।
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर किस युग के लेखक हैं?
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का गद्य साहित्य का युग, शुक्लोत्तर युग हैं।
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी के निबंध संग्रह के नाम लिखिए?
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर के ललित निबंध – क्षण बोले कण मुस्काये, बाजे पायलिया के घुंघरू है।