अनुप्रस्थ तरंग और अनुदैर्ध्य तरंग | यांत्रिक तरंग | उदाहरण एवं अंतर लिखिए

यांत्रिक तरंग

वह तरंगे जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होने के लिए भौतिक माध्यम की आवश्यकता होती है। एवं जिसमें प्रत्यास्थता तथा जड़त्व का गुण होना आवश्यक है। इस प्रकार की तरंगों को यांत्रिक तरंग (mechanical waves in Hindi) कहते हैं।
यांत्रिक तरंगे ऊर्जा तथा संवेग का संचरण करती हैं परंतु माध्यम अपने ही स्थान पर स्थिर रहता है।

यांत्रिक तरंगों के प्रकार

यांत्रिक तरंग माध्यम के कणों के कंपन के द्वारा उत्पन्न होती हैं। कणों के कंपन की दशा के अनुसार यांत्रिक तरंगे दो प्रकार की होती हैं।
(1) अनुप्रस्थ तरंग
(2) अनुदैर्ध्य तरंग

1. अनुप्रस्थ तरंग

जब किसी माध्यम में यांत्रिक तरंगे संचरित होती हैं तो माध्यम के कण, तरंग के चलने की दिशा के लंबवत कंपन करते हैं। तब इस प्रकार की तरंगों को अनुप्रस्थ तरंग (transverse waves in Hindi) कहते हैं।
यह तरंगे श्रृंग तथा गर्त के रूप में संचरित होती हैं।

अनुप्रस्थ तरंगे केवल ठोस एवं द्रव की सतह पर उत्पन्न की जा सकती हैं। अर्थात जिनमें दृढ़ता होती है उसमें अनुप्रस्थ तरंगे उत्पन्न की जा सकती हैं। द्रव के भीतर एवं गैस माध्यम में अनुप्रस्थ तरंगे उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं।

अनुप्रस्थ तरंग
अनुप्रस्थ तरंग

तरंग की गति में तरंग द्वारा जो अधिकतम मान प्राप्त किया जाता है उसे श्रृंग कहते हैं। एवं न्यूनतम मान अर्थात नीचे की ओर अधिकतम मान को गर्त कहते हैं।
एक श्रृंग से दूसरे समीपवर्ती श्रृंग अथवा एक गर्त से दूसरे समीपवर्ती गर्त की दूरी को तरंगदैर्ध्य λ कहते हैं। चित्र से दर्शाया गया है।

अनुप्रस्थ तरंग के उदाहरण

  1. किसी व्यक्ति के एक सिरे को दीवार से बांधकर दूसरे सिरे को हाथ से हिलाने पर रस्सी में उत्पन्न तरंगे अनुप्रस्थ तरंगे होती हैं।
  2. शांत जल के तालाब में पत्थर फेंकने पर जल में लहर का उत्पन्न होना एक अनुप्रस्थ तरंग है।

पढ़ें… 11वीं भौतिक नोट्स | 11th class physics notes in Hindi

2. अनुदैर्ध्य तरंग

जब किसी माध्यम में यांत्रिक तरंगे संचरित होती है तो माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा के समांतर कंपन करते हैं। तब इस प्रकार की तरंगों को अनुदैर्ध्य तरंग (longitudinal waves in Hindi) कहते हैं।
यह तरंगे संपीड़न तथा विरलन के रूप में संचरित होती हैं।

अनुदैर्ध्य तरंग
अनुदैर्ध्य तरंग

अनुदैर्ध्य तरंगों को ठोस, द्रव तथा गैस तीनों माध्यम में उत्पन्न किया जा सकता है।
अगर एक स्प्रिंग का उदाहरण लिया जाए तो, जहां स्प्रिंग के चक्कर समीप-समीप होते हैं। वे स्थान संपीड़न तथा जहां स्प्रिंग के चक्कर दूर-दूर होते हैं वे स्थान विरलन कहलाता है।
विरलन स्थान पर माध्यम का दाब व घनत्व कम होता है एवं संपीड़न वाले स्थान पर माध्यम का दाब व घनत्व अधिक होता है।
एक संपीडन से दूसरे पास के संपीडन अथवा एक विरलन से दूसरे पास के विरलन तक की दूरी को तरंगदैर्ध्य λ कहते हैं। चित्र में दर्शाया गया है।

पढ़ें… 11वीं भौतिक नोट्स | 11th class physics notes in Hindi

अनुदैर्ध्य तरंग के उदाहरण

  1. किसी स्प्रिंग के एक सिरे को किसी दृढ़ से बांधकर तथा दूसरे सिरे को हाथ से खींचने पर उत्पन्न तरंगे, अनुदैर्ध्य तरंगें हैं।
  2. वायु में उत्पन्न ध्वनि तरंगे, अनुदैर्ध्य तरंगे होती हैं।

अनुप्रस्थ और अनुदैर्ध्य तरंग में अंतर

  1. अनुप्रस्थ तरंग में माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा के लंबवत कंपन करते हैं। जबकि अनुदैर्ध्य तरंग में माध्यम के कण तरंग के चलने की दिशा के समांतर कंपन करते हैं।
  2. अनुप्रस्थ तरंग में तरंग के अधिकतम मान को श्रृंग कहते हैं। जबकि अनुदैर्ध्य तरंग में तरंग के अधिकतम मान को संपीडन कहते हैं।
  3. अनुप्रस्थ तरंगे केवल ठोसों में पायी जाती हैं। जबकि अनुदैर्ध्य तरंगे ठोस, द्रव तथा गैस तीनों माध्यम में पायी जाती हैं।
  4. रस्सी में उत्पन्न तरंग, तालाब में पत्थर मारने पर उत्पन्न तरंग, अनुप्रस्थ तरंगे हैं। जबकि स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगे एवं वायु में उत्पन्न तरंगे अनुदैर्ध्य तरंगे हैं।

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