यदि हम दो कुंडलियों को पास पास रख कर उन कुंडलियों में से किसी एक कुंडली में बैटरी द्वारा धारा प्रवाहित करते हैं। तथा प्रवाहित धारा के मान में परिवर्तन किया जाता है। तो पास में रखी दूसरी कुंडली में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है। इस घटना को अन्योन्य प्रेरण कहते हैं। अन्योन्य प्रेरण (mutual induction in hindi) का उदाहरण ट्रांसफार्मर है।
जिस कुंडली में धारा प्रवाहित होती है उसे प्राथमिक कुंडली P कहते हैं। तथा इस कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है उसे द्वितीयक कुंडली S कहते हैं। यह कुंडलियां चित्र में P तथा S से दर्शायी गई है।
अन्योन्य प्रेरण गुणांक या अन्योन्य प्रेरकत्व
माना प्राथमिक कुंडली में प्रवाहित धारा i1 एंपियर है। इससे बद्ध द्वितीयक कुंडली में चुंबकीय फ्लक्स Φ2 है यदि द्वितीयक कुंडली में तार के N फेरे हैं। तो द्वितीयक कुंडली में चुंबकीय फ्लक्स ग्रंथिकाओं की संख्या N2Φ2 होगी। यह संख्या प्राथमिक कुंडली में प्रवाहित धारा i1 के अनुक्रमानुपाती होती है। अर्थात्
N2Φ2 ∝ i1
N2Φ2 = Mi1
जहां M एक नियतांक है जिसे अन्योन्य प्रेरण गुणांक अथवा अन्योन्य प्रेरकत्व (mutual inductance in hindi) कहते हैं। तब उपरोक्त समीकरण
\footnotesize \boxed { M = \frac{N_2Φ_2}{i_1} }
जब प्राथमिक कुंडली में प्रवाहित धारा का मान 1 हो तो
i = 1
तब अन्योन्य प्रेरण गुणांक M = N2Φ2
इसके अनुसार अन्योन्य प्रेरण गुणांक की परिभाषा – जब एक कुंडली में प्रवाहित धारा एक एकांक होती है। तो उस कुंडली में चुंबकीय फ्लक्स ग्रंथिकाओं की संख्या कुंडली के अन्योन्य प्रेरण गुणांक के बराबर होती है।
फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम से प्रेरित विद्युत वाहक बल
e2 = \large -N_2 \frac{∆Φ_2}{∆t}
e2 = \large \frac{-∆(N_2Φ_2)}{∆t}
अब अन्योन्य प्रेरण गुणांक के सूत्र से N2Φ2 का मान रखने पर
e2 = \large \frac{-∆(Mi_1)}{∆t}
e2 = \large \frac{-M∆i_1}{∆t}
या \footnotesize \boxed { M = \frac{-e}{∆i_1/∆t} }
अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मात्रक
अन्योन्य प्रेरण गुणांक अथवा अन्योन्य प्रेरकत्व का मात्रक उपरोक्त समीकरण द्वारा ज्ञात कर सकते हैं।
M = \large \frac{-e_2}{∆i_1/∆t}
इस समीकरण के अनुसार अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मात्रक वोल्ट-सेकण्ड/एंपियर होता है। एवं अन्योन्य प्रेरण गुणांक का एस आई मात्रक हैनरी होता है।
Note – स्व प्रेरकत्व अथवा अन्योन्य प्रेरण गुणांक (अन्योन्य प्रेरकत्व) का मात्रक एक जैसा ही होता है।
अन्योन्य प्रेरण गुणांक का सूत्र
जब प्राथमिक कुंडली में विद्युत धारा का मान एकांक होता है। तो द्वितीयक कुंडली में चुंबकीय फ्लक्स ग्रंथिकाओं की संख्या को अन्योन्य प्रेरण गुणांक कहते हैं। इसे M से प्रदर्शित करते हैं।
तब अन्योन्य प्रेरण गुणांक का सूत्र
\footnotesize \boxed { M = \frac{N_2Φ_2}{i_1} }
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अन्योन्य प्रेरण गुणांक या अन्योन्य प्रेरकत्व का विमीय सूत्र
स्वप्रेरण गुणांक तथा अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मात्रक एक ही होता है। इस कारण इन दोनों के विमीय सूत्र भी एक जैसे ही होते हैं।
तब अन्योन्य प्रेरण गुणांक का विमीय सूत्र [ML2T-2A-2] होगा।
विस्तार पूर्वक पढ़ने के लिए स्व प्रेरकत्व पढ़ें।