परासरण दाब क्या है परिभाषा, उदाहरण, का चित्र, जैविक महत्व, समपरासरी विलयन

परासरण

विलायक के अणुओं का अर्ध पारगम्य झिल्ली में से होकर शुद्ध विलायक से विलयन की ओर प्रवाह परासरण (osmotic) कहलाता है।

अर्ध पारगम्य झिल्ली

वे झिल्लियां जिनमें से केवल विलायक के अणुओं का ही प्रवाह होता है अर्थात इनमें से केवल विलायक के अणु ही आर-पार निकल सकते हैं। विलेय पदार्थ के अणुओं का प्रवाह नहीं होता है। अर्ध पारगम्य झिल्ली कहलाती है।

परासरण दाब

अर्ध पारगम्य झिल्ली द्वारा विलायक से पृथक किए गए विलयन में विलायक के प्रवेश को रोकने के लिए विलयन पर लगाए गए आवश्यक बाह्य बल को परासरण दाब (osmotic pressure in Hindi) कहते हैं। इसे Π (पी) से प्रदर्शित करते हैं।
परासरण दाब एक अणुसंख्यक के गुणधर्म है।

परासरण दाब, दिए गए ताप पर मोलरता के अनुक्रमानुपाती होता है। अर्थात्
\footnotesize \boxed { Π = MRT }
जहां M – मोलरता , R – गैस नियतांक है
चूंकि M = \large \frac{मोलो\,की\,संख्या}{आयतन} = \large \frac{n}{V} होता है तब परासरण दाब
\footnotesize \boxed { Π = \frac{n}{V}RT }
परंतु मोलों की संख्या = [/latex] = \large \frac{भार}{अणुभार} होता है तब परासरण दाब
\footnotesize \boxed { Π = \frac{wRT}{mV} }
जहां w – विलेय का भार , m – विलेय का अणुभार है

परासरण दाब का जैविक महत्व

पौधे एवं जीव जंतुओं का शरीर अनेकों संख्यक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। सभी कोशिकाओं में एक द्रव भरा रहता है जिसे कोशिकाद्रव्य कहते हैं। इन कोशिकाओं की दीवारें एक अर्ध पारगम्य झिल्ली का कार्य करती हैं यह झिल्लियां अपने में से जल का ही प्रवाह होने देती हैं उसमें उपस्थित प्रोटीन, एंजाइम आदि को रोक लेती हैं। अर्थात जल का भूमि से पौधों की जड़ों में और फिर पौधों जड़ों से पौधों के तनों में प्रवाह परासरण के कारण ही होता है।

परासरण दाब के नियम

परासरण दाब के तीन नियम है
(1) बाॅयल वांट हाॅउ नियम
(2) चार्ल्स‌‌ वांट हाॅउ नियम
(3) आवोगाद्रो वांट हाॅउ नियम

1. बाॅयल वांट हाॅउ नियम

इस नियम के अनुसार, स्थिर ताप पर किसी तनु विलयन का परासरण दाब, विलयन की सांद्रता के अनुक्रमानुपाती होता है। अर्थात्
Π ∝ C
चूंकि विलयन की सांद्रता को मोल/लीटर में ही व्यक्त करते हैं। तो
Π ∝ [/latex] = \large \frac{1}{T}
या Π = PV (K – नियतांक)

2. चार्ल्स‌‌ वांट हाॅउ नियम

इस नियम के अनुसार, स्थिर सांद्रता पर किसी तनु विलयन का परासरण दाब, परमताप के अनुक्रमानुपाती होता है। अर्थात्
Π ∝ T
या Π = KT (K – नियतांक)

3. आवोगाद्रो वांट हाॅउ नियम

इस नियम के अनुसार, यदि दो तनु विलयनों के ताप व परासरण दाब समान है तो विलयन के समान आयतन में विलेय के मोलों की संख्या भी समान होगी। अर्थात्
Π1 = Π2

अल्प व अति परासरी विलयन

जब दो विलयनों में एक विलयन का परासरण दाब, दूसरे के परासरण दाब से कम या ज्यादा होता है। तो जिस विलयन का परासरण दाब अधिक होता है। उसे अति परासरी विलयन कहते हैं। एवं जिस विलयन का परासरण दाब कम होता है उसे अल्प परासरी विलयन कहते हैं।

विसरण और परासरण में अंतर

  1. परासरण में अर्ध पारगम्य झिल्ली का होना आवश्यक है। जबकि विसरण में अर्ध पारगम्य झिल्ली का होना आवश्यक नहीं है।
  2. परासरण की प्रक्रिया केवल द्रव अवस्था में ही होती है। जबकि विसरण की प्रक्रिया ठोस, द्रव तथा गैस तीनों अवस्थाओं में होती है।
  3. परासरण में केवल विलायक के अणु गति करते हैं। जबकि विसरण में विलायक एवं विलेय दोनों के अणु गति करते हैं। ‌

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