फिनोल क्या है, बनाने की विधि, भौतिक व रासायनिक गुण, सूत्र, उपयोग, अम्लीय क्यों होता है

फिनोल

जिसमें —OH समूह ऐरोमैटिक रिंग के sp2 संकरित कार्बन परमाणु से जुड़ा रहता है। उसे फिनोल (phenol in Hindi) कहते हैं।
ऐरोमैटिक रिंग से जुड़े —OH समूह की संख्या के अनुसार फिनोल को मोनो, डाई एवं ट्राई हाइड्रिक फिनोल में वर्गीकृत किया गया है।
वह फिनाॅल यौगिक जिसमें ऐरोमैटिक रिंग से केवल एक —OH समूह जुड़ा होता है। उसे मोनोहाइड्रिक फिनोल कहते हैं। तथा जिसमें ऐरोमैटिक रिंग से दो या तीन —OH समूह जुड़े रहते हैं। उन्हें क्रमशः डाई तथा ट्राईहाइड्रिक फिनाॅल कहते हैं। चित्र से स्पष्ट है।

फिनोल क्या है
फिनोल

फिनोल बनाने की विधि

फिनोल बनाने की अनेक विधियां हैं जो निम्न प्रकार से दी गई हैं।
1. हैलोएरीन से – क्लोरो बेंजीन, 350°C (623K) ताप तथा 320 वायुमंडलीय दाब पर NaOH के साथ क्रिया करके सोडियम फिनाॅक्साइड प्राप्त होता है। जिसे अम्ल द्वारा अपघटित करके फिनाॅल बनाते हैं।

फिनोल बनाने की विधि

2. सल्फोनिक अम्ल से – यह फिनोल के निर्माण की प्रयोगशाला विधि है इसमें बेंजीन सल्फोनिक अम्ल को 300°C (573K) ताप पर सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ गर्म करने पर सोडियम फिनाॅक्साइड प्राप्त होता है जिसे अम्लीकृत करके फिनोल बनाते हैं।
C6H5SO3H + 3NaOH \xrightarrow {573K} C6H5ONa + Na2SO3 + 2H2O
C6H5ONa + HCl \longrightarrow C6H5OH + NaCl

3. डाईऐजोनियम लवणों से – इसमें डाईऐजोनियम लवण को जल के साथ सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में गर्म करके करने पर जल अपघटित हो जाता हैं जिससे फिनोल प्राप्त होता है।

फिनोल बनाने की विधि 2

फिनोल के भौतिक गुण

  • फिनोल रंगहीन, तीक्ष्ण गंध वाला क्रिस्टलीय ठोस होता है।
  • फिनोल वायु तथा प्रकाश की उपस्थिति में ऑक्सीकृत हो जाता है जिससे इसका रंग गुलाबी हो जाता है।
  • फिनोल का गलनांक 42°C तथा क्वथनांक 182°C होता है।
  • यह जल में कम विलेय हैं परंतु कार्बनिक विलायकों जैसे ईथर तथा अल्कोहल में पूर्ण विलेय है।

फिनोल के रासायनिक गुण

1. फिनोल बेंजोइल क्लोराइड के साथ क्रिया करके फेनिल बेंजोएट बनाता है।

फिनोल के रासायनिक गुण

2. फिनोल अमोनिया से निर्जलीय जिंक क्लोराइड (ZnCl2) की उपस्थिति में क्रिया करके एनिलीन बनाता है।

फिनोल के रासायनिक गुण 2

3. फिनोल को यशराज (Zn) के साथ गर्म करने पर यह बेंजीन में परिवर्तित हो जाती हैं।

फिनोल के रासायनिक गुण 3

फिनाॅल की अनुनादी संरचना

1. नाइट्रोकरण – फिनोल तनु नाइट्रिक अम्ल से 298K ताप पर क्रिया करके ऑर्थो तथा पैरा नाइट्रोफिनोल का मिश्रण बनाता है।

फिनाॅल की अनुनादी संरचना

1. हैलोजनीकरण – फिनोल की क्रिया ब्रोमीन जल के साथ करने पर 2, 4, 6–ट्राइब्रोमोफिनॉल प्राप्त होता है।

फिनाॅल की अनुनादी संरचना 2

फिनोल के उपयोग

  1. फिनोल का उपयोग औषधियां, रंजक तथा विस्फोटक बनाने में किया जाता है।
  2. फिनाॅल, रबर उद्योग में विलायक के रूप में प्रयोग की जाती है।
  3. इसका उपयोग कार्बोलिक साबुन बनाने में किया जाता है।
  4. इसका उपयोग कीटाणु नाशक के रूप में भी किया जाता है।
फिनाॅल अम्लीय होता है क्यों?

फिनाॅल का अम्लीय गुण ध्रुवीय —OH समूह तथा फिनाॅक्साइड आयन का अनुनाद स्थायीकरण के कारण होता है। फिनाॅल एक दुर्बल अम्ल की भांति व्यवहार करता है। यह नीले लिटमस पेपर को लाल कर देता है जबकि अल्कोहल का लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं होता है।


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