प्रकाश विद्युत प्रभाव
प्रकाश के प्रभाव से धातु से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने की घटना को प्रकाश विद्युत प्रभाव कहते हैं। प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या आइंस्टीन ने प्लांक के क्वांटम सिद्धांत के आधार पर की।
इस सिद्धांत के अनुसार, प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बंडलों तथा पैकेटों के रूप में चलता है जिन्हें फोटोन कहते हैं। प्रत्येक फोटोन की ऊर्जा hv के बराबर होती है। जहां v प्रकाश की आवृत्ति तथा h प्लांक नियतांक है जिसका मान 6.6 × 10-34 जूल-सेकंड होता है। प्रकाश की तीव्रता इन्हीं फोटोनों की संख्या पर निर्भर करती है।
प्रकाश विद्युत प्रभाव का निगमन
जब कोई प्रकाश किसी धातु की प्लेट पर गिरता है तो उसका कोई फोटोन अपनी समस्त उर्जा को धातु के भीतर उपस्थित किसी इलेक्ट्रॉन को दे देता है। इस कारण उस फोटोन का अपना अस्तित्व समाप्त हो जाता है। इलेक्ट्रॉन इस ऊर्जा को दो भागों में व्यय (खर्च) करता है इलेक्ट्रॉन द्वारा ऊर्जा का कुछ भाग सतह तक आने में व्यय हो जाता है जिसे इलेक्ट्रॉन का कार्य फलन कहते हैं। तथा बाकी शेष ऊर्जा इलेक्ट्रॉन को गतिज ऊर्जा के रूप में मिल जाती है। तब इस प्रकार
कुल ऊर्जा = कार्य फलन + इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
hv = W + Ek
या Ek = hv – W समी.①
एक इलेक्ट्रॉन द्वारा अवशोषित फोटोन की ऊर्जा उसके कार्य फलन से कम है। तो धातु के पृष्ठ से कोई भी इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं होगा। यदि दी हुई ऊर्जा के लिए प्रकाश की देहली आवृत्ति v० हो तो ऐसे प्रकाश फोटोन की ऊर्जा hv० इलेक्ट्रॉन को पृष्ठ तक लाने में ही व्यय हो जाएगी। जो कि इलेक्ट्रॉन में कार्य फलन के बराबर होगी। अतः
W = hv० समी.②
समी.② से W का मान समी.① में रखने पर
Ek = hv – W
Ek = hv – hv०
Ek = h(v – v०)
यदि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m तथा अधिकतम वेग Vmax है। तो गतिज ऊर्जा
Ek = 1/2mVmax2 अथवा
\footnotesize \boxed { \frac{1}{2}mV_{max}^2 = h(v - v_०) }
इस समीकरण को आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत प्रभाव समीकरण कहते हैं।
निरोधी विभव
प्रकाश विद्युत प्रभाव में जब धातु की प्लेट पर ऋणात्मक विभव दिया जाता है। तो प्रकाश विद्युत धारा का मान घटता जाता है। तथा एक निश्चित ऋणात्मक विभव पर प्रकाश विद्युत धारा का मान शून्य हो जाता है। इस विभव को निरोधी विभव कहते हैं।
कार्य फलन
प्रकाश के किसी एक फोटोन की वह न्यूनतम ऊर्जा जो धातु के किसी इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करके धातु की सतह तक लाने के लिए आवश्यक होती है। इसे धातु का कार्य फलन कहते हैं। इसे W द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। कार्य फलन का मान भिन्न-भिन्न धातुओं के लिए भिन्न-भिन्न होता है।
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देहली आवृत्ति
प्रकाश की वह न्यूनतम आवृत्ति जो किसी पदार्थ से प्रकाश इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करा सकें। इस आवृत्ति को पदार्थ की देहली आवृत्ति कहते हैं। इसे v० से प्रदर्शित करते हैं।
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