संचार व्यवस्था
किसी भी संदेशों तथा सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरण करने की प्रक्रिया को संचार कहते हैं। एवं सूचनाओं तथा संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने तथा ग्रहण करने की व्यवस्था को संचार व्यवस्था कहते हैं।
किसी संचार व्यवस्था के मूल रूप से तीन भाग होते हैं।
(1) प्रेषित्र
(2) संचार माध्यम
(3) अभिग्राही
मॉडुलन अथवा मॉडुलेशन
वह प्रक्रिया जिसमें प्रेषी पर निम्न आवृत्ति की विद्युत चुंबकीय तरंगों को उच्च आवृत्ति वाली वाहक तरंगों पर अध्यारोपित कराया जाता है इस प्रक्रिया को मॉडुलन (modulation) कहते हैं।
अब सवाल यह उठता है कि इस प्रक्रिया की आवश्यकता क्यों और कहां पड़ती है तो इसका भी जवाब है –
मॉडुलन की आवश्यकता
इसकी आवश्यकता दो रूप में पड़ती है।
1. एंटीने का आकार
किसी संदेश सिग्नल को प्रेषित करने के लिए एंटीने की आवश्यकता होती है। किसी सिग्नल को प्रसारित करने के लिए एंटीने की लंबाई, संदेश सिग्नल की तरंगदैर्ध्य की λ/4 की कोटि की होनी चाहिए।
माना निम्न 20 किलो हर्ट्स आवृत्ति की तरंग के लिए तरंगदैर्ध्य
λ = C/v
λ = 3 × 108/20 × 103
λ = 15 × 103 मीटर
λ = 15 किलोमीटर
तब एंटीने की लंबाई = λ/4 = 15/4 = 3.75 किलोमीटर या 3750 मीटर।
अतः इतनी लंबाई (3750 मीटर) का एंटीना बनाना व्यवहारिक नहीं होगा।
तथा अब माना उच्च 106 हर्ट्स आवृत्ति की तरंग के लिए तरंगदैर्ध्य
λ = C/v
λ = 3 × 108/106
λ = 300 मीटर
तब एंटीने की लंबाई = λ/4 = 300/4 = 75 मीटर।
अतः इतनी लंबाई (75 मीटर) का एंटीना बनाना व्यवहारिक है।
इस प्रकार संदेश सिग्नल से प्रेषित के लिए उच्च आवृत्ति की रेडियो तरंग होनी आवश्यक है।
2. कम शक्ति का प्रभावी विकिरण
किसी ℓ लंबाई के रेखीय एंटीने द्वारा विकिरित शक्ति P, तरंगदैर्ध्य के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होती है अर्थात्
P ∝ 1/λ2
अतः निम्न आवृत्ति के सिग्नल का उच्च आवृत्ति की तरंगों के साथ मॉडुलेशन करना आवश्यक है।
संचार व्यवस्था संबंधी परिभाषाएं
भू तरंगें
यदि प्रेषित एंटीने से कोई रेडियो तरंग जब अभिग्राही एंटीने पर सीधे या पृथ्वी से परावर्तित होकर पहुंचती है। तो वे तरंग भू तरंगें कहलाती है।
भू तरंगें की आवृत्ति 500 किलोहर्ट्स से 1500 किलोहर्ट्स तक होती है।
व्योम तरंगें
वे रेडियो तरंगे जो पृथ्वी के आयन मंडल द्वारा ही परावर्तित होकर वापस पृथ्वी की ओर ही आने लगती हैं इस प्रकार की तरंगों को व्योम तरंगे कहते हैं।
व्योम तरंगों की आवृत्ति 3 मेगाहर्ट्स से 30 मेगाहर्ट्स तक होती है।
आकाश तरंगें
वह रेडियो तरंगे जो प्रेषी एंटीने से सीधे पृथ्वी तल से परावर्तन के पश्चात अभिग्राही पर लौट आती है तब इन तरंगों को आकाश तरंगें कहते हैं। आकाश तरंगों की आवृत्ति परास 40 मेगाहर्ट्स से 300 मेगाहर्ट्स तक होती है।
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प्रेषित एंटीने की पृथ्वी से ऊंचाई तथा उसकी परास में संबंध
माना एक प्रेषित एंटीना पृथ्वी तल से h ऊंचाई पर है एवं पृथ्वी के केंद्र से R दूरी पर यानी त्रिज्या पर एंटीना स्थित है। यहां बिंदुओं A और B पर AT तथा BT दो स्पर्श रेखाएं हैं।
माना एंटीने के आधार से पृथ्वी की दूरी d है। तो
त्रिभुज AOT में
OT2 = AT2 + OA2 (पाइथागोरस प्रमेय से)
परन्तु OT = R+h , OA = R तब
(R+h)2 = AT2 + (R)2
AT = RT = d
R2 + h2 +2Rh = d2 + R2
चूंकि h<<R अतः h2 को निगण्य मानने पर
d2 = 2Rh
\footnotesize \boxed { d = \sqrt{2Rh} }
टी०वी० प्रसारण में क्षेत्र
\footnotesize \boxed { A = πd^2 = 2πRh }
कुछ महत्वपूर्ण सूत्र
- ma = \large \frac{E_m}{Ec}
जहां ma – मॉडुलन गुणांक (सूचकांक)
Em – मॉडुलक तरंग का आयाम
Ec – वाहक तरंग का आयाम - Emax = Ec + Em
Emin = Ec – Em
जहां Emax – आयाम मॉडुलक तरंग का अधिकतम मान
Emin – आयाम मॉडुलक तरंग का न्यूनतम मान - ma = \large \frac{E_{max} - E{min}}{E_{max} + E{min}}
- (i) निम्न पाश्र्व बैण्ड आवृत्ति (LSB) = fc – fm
(ii) उच्च पाश्र्व बैण्ड आवृत्ति (USB) = fc + fm
(iii) आयाम मॉडुलित तरंग की बैण्ड चौड़ाई = USB – LSB
(fc – fm) – ( fc + fm)
2fm
जहां fm – मॉडुलन तरंग की आवृत्ति
fc – वाहक तरंग की आवृत्ति
Sir ,
मैंने संचार व्यवस्था की यह नोट्स पढ़ा मुझे बहुत अच्छा लगा।
क्या आप मुझे पीडीएफ फ़ाइल भेज सकते हैं।
Nuclear Reacter topic kha hi sar
Sir mujhe pdf chahiye kya process h
Very nice notes h