प्रत्यावर्ती धारा का शिखर मान
प्रत्यावर्ती धारा अपने एक पूर्ण (पूरे) चक्कर में दो बार न्यूनतम तथा दो बार अधिकतम मान प्राप्त करती है। धारा के इस अधिकतम मान को शिखर मान कहते हैं। इसे i0 से प्रदर्शित करते हैं।
शिखर मान की परिभाषा इसके नाम से ही स्पष्ट है शिखर का मतलब ऊंचा अधिकतम होता है।
प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान
प्रत्यावर्ती धारा के एक पूरे चक्कर के लिए धारा के वर्ग के औसत मान के वर्गमूल को प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान कहते हैं। (root mean square value of alternating current in hindi) इसे irms द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
एक पूरे चक्कर के लिए प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान
\large \overline{i^2} = \frac{1}{T} \int_0^T i^2 \, dt
चूंकि T = 2π/ω तथा i = i0sinωt रखने पर (जहां T आवर्तकाल है)
\large \overline{i^2} = \frac{1}{2π/ω} \int_0^{2π/ω} (i_0sinωt)^2 \, dt
\large \overline{i^2} = \frac{ω}{2π} \int_0^{2π/ω} i_0^2sin^2ωt \, dt
\large \overline{i^2} = \frac{ω}{2π} i_0^2 \int_0^{2π/ω} (\frac{1 - cos^2ωt}{2}) \, dt (चूंकि cos2θ = 1-2sin2θ )
समाकलन करने पर
\large \overline{i^2} = \frac{ω}{2π} \frac{i_0^2}{2} [t - \frac{sin2ωt}{2ω}]_0^{2π/ω}
\large \overline{i^2} = \frac{ω}{2π} \frac{i_0^2}{2} (\frac{2π}{ω} + \frac{2ω×2π/ω}{2ω}) - 0 - 2π/ω
\large \overline{i^2} = \frac{ω}{2π} × \frac{i_0^2}{2} × \frac{2π}{ω}
अतः प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान
\footnotesize \boxed { i_rms = \sqrt{\overline{i^2} } = \frac{i_0}{\sqrt{2}} }
क्योंकि हम जानते हैं कि \sqrt{2} = 1.414 होता है इसलिए
\footnotesize \boxed { i_rms = 0.707 i_0 }
इस समीकरण से स्पष्ट होता है की प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान उसके शिखर मान का 0.707 भाग होता है।
इसी प्रकार हम प्रत्यावर्ती वोल्टेज का वर्ग माध्य मूल मान भी ज्ञात कर सकते हैं।
\footnotesize \boxed { V_rms = \frac{V_0}{\sqrt{2}} }
\footnotesize \boxed { V_rms = 0.707 V_0 }
प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग माध्य मूल मान को प्रभावी मान अथवा आभासी मान भी कहते हैं।
iप्रभावी = irms = i0/√2
iआभासी = irms = i0/√2
पढ़ें… 12वीं भौतिकी नोट्स | class 12 physics notes in hindi pdf
प्रत्यावर्ती धारा का माध्य अथवा औसत मान
प्रत्यावर्ती धारा का मान एक अर्द्ध चक्कर के लिए एक दिशा में तथा दूसरे अर्द्ध चक्कर के लिए दूसरी दिशा (या विपरीत दिशा) में प्रवाहित होता है। एक पूर्ण चक्कर के लिए प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान शून्य होता है। लेकिन अर्द्ध चक्कर के लिए इसका मान शून्य नहीं होता है।
प्रथम अर्द्ध चक्कर के लिए धारा का औसत मान
\footnotesize \boxed { i_m = \frac{2i_0}{π} }
\footnotesize \boxed { i_m = 0.637 i_0 }
दूसरे अर्द्ध चक्कर के लिए धारा का औसत मान
\footnotesize \boxed { i_m = - \frac{2i_0}{π} }
\footnotesize \boxed { i_m = - 0.637 i_0 }
प्रत्यावर्ती धारा के औसत मान average value of alternating current in Hindi को imसे प्रदर्शित करते हैं। तथा i0 धारा का शिखर मान है।
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