तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धांत
जब किसी माध्यम में दो या दो से अधिक तरंगे समान समय अंतराल में एक साथ बिना एक-दूसरे की गति को प्रभावित किये माध्यम में गमन करती हैं। तो माध्यम के किसी कण का किसी क्षण तरंग का परिणामी विस्थापन, दोनों तरंगों के अलग-अलग विस्थापनों के सदिश योग के बराबर होता है इसे ही तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धांत (principle of superposition of waves in Hindi) कहते हैं।
यह सिद्धांत सभी प्रकार की तरंगों के लिए सत्य है लेकिन शर्त यही है कि तरंग का आयाम बहुत बड़ा न हो। अगर तरंग का आयाम बड़ा होता है तब यह सिद्धांत उन तरंगों पर लागू नहीं होता है। जैसे – लेसर तरंग।
अध्यारोपण के सिद्धांत का अर्थ यह है कि यदि किसी माध्यम में एक साथ एक समय में बहुत सी तरंगे गति करती हैं तो वह तरंगे एक दूसरे को प्रभावित किए बिना ही चलती जाती हैं।
तरंगों के अध्यारोपण से तीन प्रकार के प्रभाव प्राप्त होते हैं
1. व्यतिकरण
2. विस्पंद
3. अप्रगामी तरंगे
व्यतिकरण के बारे में हम पूर्ण रूप से अध्ययन कर चुके हैं। व्यतिकरण कक्षा 12 की भौतिकी में है वहीं इसका अध्ययन किया है। व्यतिकरण की परिभाषा, दोनों प्रकार संतोषी एवं विनाशी व्यतिकरण के बारे में अध्ययन किया है।
पढ़ें.. व्यतिकरण क्या है संतोषी एवं विनाशी व्यतिकरण
विस्पंद के बारे में पिछले अध्याय में पड़ चुके हैं।
पढ़ें.. विस्पन्द किसे कहते हैं आवृत्ति का सूत्र, उपयोग | beats in Hindi
अप्रगामी तरंगों के बारे में भी पढ़ चुके हैं।
पढ़ें.. प्रगामी तथा अप्रगामी तरंगे किसे कहते हैं
बद्ध माध्यम
यह एक ऐसा माध्यम होता है जिसकी परिसीमा होती है। एवं जो निश्चित पृष्ठ द्वारा अन्य माध्यमों से भिन्न होता है तो इस प्रकार के माध्यमों को बद्ध माध्यम (bounded medium in Hindi) कहते हैं।
इस प्रकार के माध्यम केवल कुछ आवृत्तियों से ही दोलन करते हैं।
बद्ध माध्यम की सीमाएं दो प्रकार की होती हैं।
1. कठोर परिसीमा
2. कोमल परिसीमा
जब कोई तरंग किसी माध्यम में गमन करती है। तो अगर उस तरह की कोई सीमा नहीं होगी, तो वह तरंग सीधी उसी माध्यम में चलती चली जाएगी। अर्थात् कोई सीमा नहीं है तो वह तरंग नहीं रुक पाएगी।
अगर तरंग की कोई (कठोर या कोमल) सीमा है तो तरंग इस सीमा को पार नहीं करेगी। बल्कि सीमा के अंतर्गत ही रुक जाएगी।
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