पृथ्वी के चुंबकत्व के अवयव
पृथ्वी के चुंबकत्व के अवयवो की संख्या तीन है।
- दिकपात का कोण
- नमन या नति कोण
- पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक
इन सब अवयवों के बारे में हम चर्चा आगे विस्तार से करेंगे।
दिकपात का कोण
पृथ्वी तल के किसी स्थान पर चुंबकीय याम्योत्तर तथा भौगोलिक याम्योत्तर के बीच बने न्यूनकोण को दिकपात का कोण कहते हैं।
चुंबकीय याम्योत्तर तथा भौगोलिक याम्योत्तर की परिभाषाएं नीचे दी गई है दिकपात के कोण को α से प्रदर्शित करते हैं।
नमन कोण या नति कोण
पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्षेत्र के साथ जो कोण बनाती है। उसे नमन कोण या नति कोण कहते हैं। इसे θ द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक
किसी स्थान पर चुंबकीय याम्योत्तर में कार्य करने वाले पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का वह घटक जो क्षैतिज दिशा में कार्य करता है। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक कहलाता है।
![पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक](https://studynagar.com/wp-content/uploads/2021/03/पृथ्वी-के-चुंबकीय-क्षेत्र-का-क्षैतिज-घटक.png)
माना चुंबकीय याम्योत्तर (OPQR) तथा भौगोलिक याम्योत्तर (OLMR) के बीच का कोण α है। जिसे दिकपात का कोण कहते हैं। तथा चुंबकीय अक्ष OQ तथा क्षैतिज दिशा OP के बीच का कोण θ है। जिसे नमन या नति कोण कहते हैं।
Be पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र है। जिसे क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर घटकों में विभाजित करने पर
क्षैतिज घटक H = Becosθ
ऊर्ध्वाधर घटक V = Besinθ
दोनों समीकरणों का आपस में वर्ग करने पर
H2 + V2 = (Be)2 × (cosθ2 + sinθ2)
H2 + V2 = (Be)2 × 1
\footnotesize \boxed { B_e = \sqrt{H^2 + V^2} }
अब समीकरणों को आपस में भाग करने पर
\large \frac{V}{H} = \large \frac{B_esinθ}{B_ecosθ}
\footnotesize \boxed { tanθ = \frac{V}{H} }
या \footnotesize \boxed { θ = tan^{-1}(\frac{V}{H}) }
Note –
पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव पर नति कोण का मान 90° होता है। तथा निरक्ष पर नति कोण का मान 0° होता है।
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चुंबकीय याम्योत्तर
पृथ्वी तल के किसी स्थान पर अपने गुरुत्व केंद्र से स्वतंत्र रूप से लटकी चुंबकीय सुई की अक्ष से गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को चुंबकीय याम्योत्तर कहते हैं। प्रदर्शित चित्र में OPQR चुंबकीय याम्योत्तर है।
भौगोलिक याम्योत्तर
किसी स्थान पर पृथ्वी के भौगोलिक उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों को मिलाने वाली रेखा में से गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को भौगोलिक याम्योत्तर कहते हैं। प्रदर्शित क्षेत्र में OLMR भौगोलिक याम्योत्तर है।