रेडियो सक्रियता
किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ के परमाणुओं के क्षय होने की दर को उस रेडियोएक्टिव पदार्थ की सक्रियता कहते हैं।
इसके अनुसार किसी क्षण रेडियोएक्टिव पदार्थ के क्षय होने की दर, उस क्षण पदार्थ में शेष परमाणुओं की संख्या के अनुक्रमानुपाती होती है।
माना किसी क्षण रेडियोएक्टिव पदार्थ में बचे परमाणुओं की संख्या N है तो उस क्षण पदार्थ की सक्रियता R हो तो
R ∝ N
मानो किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ के प्रारंभ में N0 परमाणु हैं एवं पदार्थ की अर्द्ध आयु T है तो एक अर्द्ध आयु के पश्चात शेष रेडियोएक्टिव परमाणुओं की संख्या
N = \large - (\frac{1}{2}) N0
इसी प्रकार दो अर्द्ध आयु के पश्चात शेष परमाणुओं की संख्या
N = \large - (\frac{1}{2})^2 N0
ऐसे ही अर्द्ध आयु के पश्चात शेष परमाणुओं की संख्या
N = \large - (\frac{1}{2})^3 N0
अतः n अर्द्ध आयु के पश्चात शेष परमाणुओं की संख्या
\footnotesize \boxed { N = N_0(\frac{1}{2})^n }
n अर्द्ध आयु के पश्चात रेडियोएक्टिव पदार्थ की सक्रियता
\footnotesize \boxed { R = R_0(\frac{1}{2})^n }
अतः यह समीकरण ही रेडियो सक्रियता का संबंध समीकरण है। इससे स्पष्ट है कि रेडियोएक्टिव पदार्थ की सक्रियता समय के साथ घटती जाती है।
रेडियो सक्रियता का मात्रक
रेडियोएक्टिव पदार्थ की सक्रियता का मात्रक क्यूरी होता है। इसे C द्वारा प्रदर्शित किया जाता है यदि किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ में 3.7 × 1010 विघटन/सेकंड होते हैं। तो उस पदार्थ की सक्रियता 1 क्यूरी होगी। अर्थात स्पष्ट है कि 1 क्यूरी में 3.7 × 1010 विघटन/सेकंड होते हैं।
1 क्यूरी C = 3.7 × 1010 विघटन/सेकंड
1 मिलीक्यूरी mC = 3.7 × 107 विघटन/सेकंड
1 माइक्रोक्यूरी µC = 3.7 × 104 विघटन/सेकंड
सक्रियता का एस आई मात्रक बेकेरल होता है
1 बेकेरल = 1 विघटन/सेकंड
1 क्यूरी C = 3.7 × 1010 बेकेरल
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रेडियोएक्टिव पदार्थ की अर्द्ध आयु
वह समय अंतराल जिसमें किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ के परमाणुओं की संख्या विघटन के कारण घटकर प्रारंभिक मान की आधी हो जाती है। तब उस समय अंतराल को रेडियोएक्टिव पदार्थ की अर्द्ध आयु कहते हैं। इसे T द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
\footnotesize \boxed { T = \frac{log_e2}{λ} } या \footnotesize \boxed { T = \frac{0.6931}{λ} }
जहां λ क्षय नियतांक है।