विलेयता
निश्चित ताप पर किसी पदार्थ की वह अधिकतम मात्रा जो विलायक की एक निश्चित मात्रा में घूलकर एक संतृप्त विलियन का निर्माण करती है। उसे पदार्थ की विलेयता (solubility in Hindi) कहते हैं।
विलेयता का मान विलेय तथा विलायक की प्रकृति, ताप व दाब पर निर्भर करता है।
विलेयता का सूत्र
निश्चित ताप पर 100 ग्राम विलायक में विलेय पदार्थ की ग्राम में जितनी अधिक मात्रा घोली जा सकती है उसे विलेयता कहते हैं।
\footnotesize \boxed { विलेयता = \frac{विलेय\,पदार्थ\,की\,मात्रा}{विलायक\,की\,मात्रा} × 100 }
ठोसों की द्रवों में विलेयता
निश्चित ताप पर किसी द्रव विलायक में ठोस पदार्थ की घूली हुई वह अधिकतम मात्रा जिससे संतृप्त विलयन का निर्माण हो सके, उसे ठोस की द्रव में विलेयता (solubility of solids in liquids in Hindi) कहते हैं।
ठोसों की द्रवों में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक
- ताप का प्रभाव – साधारणतः पदार्थों की विलेयता ताप बढ़ाने पर बढ़ती है। क्योंकि जब कोई पदार्थ किसी विलायक में घूलता है तो उसमें ऊष्मा अवशोषित होती है।
- विलेय और विलायक की प्रकृति पर – विलायक मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। (i) ध्रुवी विलायक (ii) अध्रुवी विलायक।
साधारणतः किसी विलायक पदार्थ में वे पदार्थ ही विलेय होते हैं जिनकी प्रकृति विलायक के समान ही होती है। आयनिक व ध्रुवी पदार्थ, ध्रुवी विलायको में घुलते हैं। अध्रुवी पदार्थ, अध्रुवी विलायको में विलेय होते हैं। - विलेय के कणों के आकार पर – किसी क्रिस्टलीय ठोस के छोटे-छोटे कण बड़े कणों की अपेक्षा जल्दी विलेय हो जाते हैं।
- सम आयन प्रभाव – विलयन में सम आयन की उपस्थिति में साधारणतः अल्प विलेय लवणों की विलेयता कम हो जाती है।
उदाहरण – NaCl की अपेक्षा AgCl की जल में विलेयता अधिक होती है। क्योंकि क्लोराइड आयन Cl– की उपस्थिति AgCl की विलेयता को कम कर देती है।
गैसों की द्रवों में विलेयता
अगर देखा जाए तो अधिकतम गैसें जल में विलेय होती हैं लेकिन इनमें से कुछ गैसें जल के अतिरिक्त अन्य विलायको में भी घूल जाती हैं। इसे ही गैसों की द्रवों में विलेयता कहते हैं। इसे अवशोषण गुणांक α से प्रदर्शित करते हैं।
गैसों की द्रवों में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक
- ताप का प्रभाव – साधारणतः गैस से द्रवों में विलेय होती हैं। अतः ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता घट जाती है।
- दाब का प्रभाव – दाब बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता बढ़ती है। गैसों की द्रवों में विलेयता के प्रभाव को हेनरी नियम से स्पष्ट किया जा सकता है।
- गैस तथा द्रव की प्रकृति – जो गैसें द्रव से अभिक्रिया कर लेती हैं तब उनकी विलेयता अधिक होती है एवं जो गैसें द्रव से अभिक्रिया नहीं करती हैं तो उनकी विलेयता कम होती है।<br> जैसे – CO2 , NH3 जल से अभिक्रिया करती है अर्थात इनकी विलेयता अधिक होती है।
जबकि H2 , O2 जल से अभिक्रिया नहीं करती हैं अर्थात इनकी विलेयता कम होती है।