इलेक्ट्रोड
जब किसी धातु की छड़ को उसके लवण के विलयन में रखा जाता है तो धातु की छड़ पर धन या ऋण आवेश आ जाता है। तब इस प्रकार की छड़ को इलेक्ट्रोड कहते हैं। एवं इस पूरे उपकरण को अर्द्ध सेल कहते हैं।
इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण तथा अपचयन की अभिक्रिया होती हैं। अर्थात जिन इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण होता है उनको एनोड कहते हैं। एवं जिन इलेक्ट्रोड पर अपचयन होता है उन्हें कैथोड कहते हैं।
इलेक्ट्रोड विभव
जब किसी धातु की छड़ को उसके लवण के विलयन में डूबोते हैं तो धातु की छड़ विलयन के सापेक्ष धन या ऋणावेशित हो जाती है। इस प्रकार धातु की छड़ तथा विलयन के मध्य विभवांतर स्थापित हो जाता है। जिसे इलेक्ट्रोड विभव (electrode potential in Hindi) कहते हैं। इसे E से प्रदर्शित करते हैं।
M (s) \longrightarrow Mn+ (aq) + ne–
इलेक्ट्रोड विभव को प्रायः वोल्ट में मापा जाता है। इसका मान धातु की छड़ एवं लवण के विलयन की प्रकृति पर निर्भर करता है।
इलेक्ट्रोड को प्रभावित करने वाले कारक
- ताप का प्रभाव – इलेक्ट्रोड विभव का मान ताप पर निर्भर करता है एवं ताप बढ़ाने पर इलेक्ट्रोड विभव का मान बढ़ जाता है।
- मोलरता का प्रभाव – विलयन की सांद्रता (मोलरता) वृद्धि करने पर इलेक्ट्रोड विभव का मान कम हो जाता है।
- सुचालक की प्रकृति – जो धातुएं विद्युत की अच्छी सुचालक होती हैं उनमें इलेक्ट्रॉन प्रवाह की प्रवृत्ति अधिक होती है अतः उनके इलेक्ट्रोड विभव भी अधिक होते हैं।
मानक इलेक्ट्रोड विभव
किसी धातु की छड़ को 25°C ताप पर एक मोलर आयतन के विलयन में डुबोते हैं तो धातु की छड़ तथा विलयन के मध्य जो विभवांतर उत्पन्न होता है। उसे मानक इलेक्ट्रोड विभव (standard electrode potential in Hindi) कहते हैं। इसे Eo से प्रदर्शित करते हैं।
\footnotesize \boxed {E^o_{cell} = E^o_{कैथोड} - E^o_{एनोड} }
M (s) \longrightarrow \footnotesize \begin{array}{rcl} M^{n+}(aq) \\ 1\,मोलर\,सांद्रण \end{array} + ne–
ये अच्छा परिभाषा है
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Thanks sir
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