ट्रांजिस्टर
ट्रांजिस्टर एक अर्धचालक युक्ति है जो p व n प्रकार के अर्धचालक से बनी होती है यह इलेक्ट्रॉन और विद्युत के प्रवाह को रोकने के काम आता है। ट्रांजिस्टर के तीन भाग होते हैं पहला आधार दूसरा संग्राहक तथा तीसरा उत्सर्जक होता है। ट्रांजिस्टर (transistor in hindi) अर्धचालक की खोज वैज्ञानिकों बार्डीन, शोकले तथा बेरिन ने सन् 1948 ई० में की थी, इस खोज पर इनको सन् 1956 ई० में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
ट्रांजिस्टर के प्रकार
ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते हैं। यहां हम कक्षा 12वीं के भौतिकी के बारे में पढ़ रहे हैं।
(i) pnp ट्रांजिस्टर
(ii) npn ट्रांजिस्टर
PNP ट्रांजिस्टर
इसमें n-टाइप अर्धचालक की एक बहुत पतली परत होती है जो दो p-टाइप अर्धचालकों के छोटे-छोटे क्रिस्टलों के बीच दबा कर रखते हैं। इस पतली परत को आधार तथा दाएं व बाएं ओर के क्रिस्टलो को संग्राहक व उत्सर्जक कहते हैं। इन्हें क्रमशः B, C तथा E से प्रदर्शित करते हैं।
उपरोक्त चित्र (a) में p-n-p ट्रांजिस्टर को दर्शाया गया है एवं चित्र (b) में PNP ट्रांजिस्टर का प्रतीक चिन्ह है।
प्रस्तुत प्रतीक में तीर की दिशा विद्युत धारा की दिशा को दर्शाती है।
PNP ट्रांजिस्टर की कार्यविधि
इसमें p-क्षेत्र में आवेश वाहक कोटर होते हैं। तथा n-क्षेत्र में आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन होते हैं एक तरफ की संधि को कम अग्र अभिनति तथा दूसरी तरफ की संधि को ज्यादा उत्क्रम अभिनति विभव दिया जाता है। अग्र अभिनति होने के कारण उत्सर्जक E में उपस्थित कोटर आधार B की ओर चलने लगते हैं। जबकि आधार B में उपस्थित इलेक्ट्रॉन उत्सर्जक E की ओर चलने लगते हैं। क्योंकि आधार B बहुत पतला होता है अतः इसमें प्रवेश करने वाले अधिकतम कोटर संग्राहक C में पहुंच जाते हैं। तथा बहुत कम कोटर आधार B में उपस्थित इलेक्ट्रॉन से संयोग करते हैं।
टर्मिनल B में प्रवेश करने वाली धारा को आधार धारा IB तथा टर्मिनल C में प्रवेश करने वाली धारा IC होती है। यह धाराएं आपस में मिलकर टर्मिनल E में प्रवेश करती हैं जिसे उत्सर्जक धारा IE कहते हैं। अतः
\footnotesize \boxed { I_E = I_B + I_C }
NPN ट्रांजिस्टर
इसमें p-टाइप अर्धचालक की एक बहुत पतली परत होती है जो दो n-टाइप अर्धचालकों के छोटे-छोटे क्रिस्टलों के बीच दबा कर रखी जाती है। इस पतली परत को आधार तथा दाएं व बाएं ओर के क्रिस्टलो को संग्राहक व उत्सर्जक कहते हैं। इन्हें क्रमशः B, C, E से प्रदर्शित करते हैं।
उपरोक्त चित्र (a) में n-p-n ट्रांजिस्टर को दर्शाया गया है तथा चित्र (b) में NPN ट्रांजिस्टर का प्रतीक चिन्ह है।
प्रस्तुत प्रतीक में तीर की दिशा विद्युत धारा की दिशा को दर्शाती है।
NPN ट्रांजिस्टर की कार्यविधि
इसमें p-क्षेत्र में आवेश वाहक कोटर होते हैं। तथा n-क्षेत्र में आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन होते हैं एक तरफ की संधि को कम अग्र अभिनति तथा दूसरी तरफ की संधि को ज्यादा उत्क्रम अभिनति विभव दिया जाता है। अग्र अभिनति होने के कारण उत्सर्जक E में उपस्थित इलेक्ट्रॉन आधार B की ओर चलने लगते हैं। जबकि आधार B में उपस्थित कोटर उत्सर्जक E की ओर चलने लगते हैं। क्योंकि आधार B बहुत पतला होता है अतः इसमें प्रवेश करने वाले अधिकतम इलेक्ट्रॉन संग्राहक C में पहुंच जाते हैं। तथा बहुत कम इलेक्ट्रॉन आधार B में उपस्थित कोटर से संयोग करते हैं।
पढ़ें… 12वीं भौतिकी नोट्स | class 12 physics notes in hindi pdf
टर्मिनल B में प्रवेश करने वाली धारा को आधार धारा IB तथा टर्मिनल C में प्रवेश करने वाली धारा, संग्राहक धारा IC होती है। ये धाराएं मिलकर टर्मिनल E में प्रवेश करती हैं जिसे उत्सर्जक धारा IE कहते हैं। अतः
\footnotesize \boxed { I_E = I_B + I_C }
P type semiconductor and n type semiconductor
https://studynagar.com/n-p-type-semiconductor-in-hindi-class-12/
Nice answer the questions
Good Sr ☺️
It’s very helpful for me 😇👍👍😇
npn ट्रांजिस्टर उभयनिष्ठ उत्सर्जक का प्रवर्धक , डोलित्र,स्विच के रूप में।
Nice note👍
Me rehan physics nots send sir