ऊष्मा स्थानांतरण, संचरण की विधियां, चालन, संवहन और विकिरण के उदाहरण सहित नाम लिखिए, प्रकार

कई छात्रों को यह भ्रम है कि ऊष्मा स्थानांतरण एवं ऊष्मा संचरण दोनों अलग-अलग परिभाषाएं हैं। लेकिन यह दोनों एक ही है।

ऊष्मा संचरण भी वही है जो ऊष्मा स्थानांतरण है। बस इनके दो नाम है दोनों में से किसी भी नाम का प्रयोग कर सकते हैं।

ऊष्मा स्थानांतरण (संचरण)

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि इसमें ऊष्मा का स्थान बदलता है अर्थात
ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान में अथवा एक वस्तु से दूसरी वस्तु में ताप के अंतर के कारण जाने की प्रक्रिया को ऊष्मा का संचरण (transmission of heat in Hindi) कहते हैं। इसे ऊष्मा का स्थानांतरण भी कहते हैं। ऊष्मा का संचरण सदैव उच्च ताप से निम्न ताप की ओर होता है।

ऊष्मा स्थानांतरण की विधियां

ऊष्मा स्थानांतरण (संचरण) की तीन विधियां हैं। अर्थात किसी वस्तु में ऊष्मा तीन प्रकार से चल सकती है।
(1) चालन
(2) संवहन
(3) विकिरण

ऊष्मा स्थानांतरण की विधियां
ऊष्मा स्थानांतरण की विधियां

1. चालन

जब किसी धातु की छड़ के अनेक भागों पर तापांतर होता है। अर्थात किसी स्थान पर ताप अधिक होता है तो किसी स्थान पर ताप कम होता है। तब धातु की छड़ के ऊंचे ताप वाले कण अपने निकट के नीचे ताप वाले कणों को ऊष्मा संपर्क द्वारा देते हैं। अतः ऊष्मा का ऊंचे ताप वाले स्थान से नीचे ताप वाले स्थान की ओर संचरण होने लगता है।
ऊष्मा संचरण की इस प्रक्रिया को, जिसमें माध्यम के कण अपने स्थान से नहीं हटते ओर ऊष्मा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच जाती है इस विधि को चालन कहते हैं।
उदाहरण –
जब हम किसी धातु की छड़ के एक सिरे को गर्म करते हैं। तो कुछ देर बाद छड़ पूरी गर्म हो जाती है अर्थात ऊष्मा का ऊंचे ताप वाले भाग से नीचे ताप वाले भाग की ओर संचरण होने लगता है। और ऊष्मा ठंडे सिरे की ओर पहुंचकर उसे भी गर्म कर देती है यह प्रक्रिया ही चालन कहलाती है।

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2. संवहन

जब किसी तरल पदार्थ (द्रव अथवा गैस) को गर्म किया जाता है तो एक स्थान पर तरल का ताप अधिकतम तथा दूसरे स्थान पर कम हो जाता है ताप के बढ़ने से तरल का घनत्व कम हो जाता है। अतः तरल के ऊंचे ताप वाले कण हल्के होने के कारण ऊपर उठने लगते हैं। जैसे चित्र में दिखाया गया है। और उनके स्थान पर नीचे ताप वाले कण आ जाते हैं यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक संपूर्ण तरल का ताप एक समान न हो जाए।
ऊष्मा संचरण की इस प्रक्रिया को, जिसमें माध्यम के कण स्वयं स्थानांतरित होते हैं संवहन कहते हैं। संवहन में पदार्थ के कण स्वयं ही अपने स्थान से हटते हैं।
उदाहरण –जब हम किसी पात्र में जल को गर्म करते हैं तो संवहन के कारण पात्र के नीचे वाले कण ऊष्मा लेकर ऊपर आ जाते हैं। एवं ऊपर वाले कण नीचे चले जाते हैं यह प्रक्रिया जारी रहती है और संपूर्ण जल का ताप एकसमान हो जाता है। अर्थात जल गर्म हो जाता है।

3. विकिरण

ऊष्मा संचरण की वह विधि जिसमें न तो पदार्थ के कणों का स्थानांतरण होता है और ना ही पदार्थ के बीच पड़ने वाला माध्यम गर्म होता है। इसमें माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है। बल्कि ऊष्मा, स्रोत से सीधे ही प्राप्त हो जाती है। इस प्रक्रिया को विकिरण कहते हैं।
अर्थात किसी गर्म स्रोत से ऊष्मा का संचरण विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में होता है। सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक विकिरण द्वारा ही आता है।


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