यह टॉपिक संयोजकता कोश इलेक्ट्रॉन युग्म प्रतिकर्षण सिद्धांत अर्थात VSEPR theory in Hindi एक बहुत महत्वपूर्ण है।
इससे संबंधित परीक्षा में Long Question आते हैं। इसलिए आप सभी students इस सिद्धांत को अच्छे से पढ़ें और अभ्यास करें।
संयोजकता कोश इलेक्ट्रॉन युग्म प्रतिकर्षण सिद्धांत
वैज्ञानिक नाइहोम तथा गिलेस्पी ने सन् 1957 में परमाणुओं के संयोजकता कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन युग्मों के बीच प्रतिकर्षण क्रियाओं के आधार पर एक सिद्धांत का प्रतिपादन किया। जिसे संयोजकता कोश इलेक्ट्रॉन युग्म प्रतिकर्षण सिद्धांत (valence shell electron pair repulsion theory in Hindi) कहते हैं। इसे शॉर्ट में VSEPR (वैस्पर) सिद्धांत भी कहते हैं।
VSEPR सिद्धांत के अनुसार
- अणु की आकृति, केंद्रीय परमाणु पर उपस्थित संयोजी कोश के इलेक्ट्रॉन युग्मों की संख्या पर निर्भर करती है।
- केंद्रीय परमाणु के संयोजकता कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन युग्म एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। इसका कारण यह है कि उनके इलेक्ट्रॉन अभ्र पर ऋणात्मक आवेश होता है। इलेक्ट्रॉन युग्मों में प्रतिकर्षण बल का घटता हुआ क्रम है–
lp-lp > lp-bp > bp-bp
जहां lp = एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म
bp = बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म - यदि केंद्रीय परमाणु के चारों ओर केवल बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित हों तो अणु की ज्यामिति सममित होगी।
- यदि केंद्रीय परमाणु पर बंधी एवं एकाकी दोनों प्रकार के इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित हों तो अणु की ज्यामिति असममित (विकृत) होगी।
VSEPR सिद्धांत के आधार पर कुछ अणुओं की ज्यामिति
मेथेन (CH4) की ज्यामिति –
CH4 में केंद्रीय परमाणु कार्बन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
यह चारों sp3 संकरित कक्षक हाइड्रोजन के s-कक्षक के साथ अतिव्यापन द्वारा मेथेन अणु का निर्माण करते हैं। अतः CH4 में चार बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं। एवं इकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म नहीं होते हैं। जिस कारण इसकी ज्यामिति चतुष्फलकीय है। तथा बंध कोण 109° 28′ मिनट का होता है।
जल (H2O) की ज्यामिति –
H2O में केंद्रीय परमाणु ऑक्सीजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
अतः sp3 संकरित कक्षक में दो कक्षक में साझे के इलेक्ट्रॉन होते हैं। तथा शेष दो संकरित कक्षकों में एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं। इस स्थिति में बंध कोण 104° 27′ हो जाता है।
Nice
Very nice theory