जल प्रदूषण पर निबंध हिंदी में
मनुष्य को यदि कुछ समय के लिए भोजन न मिले तो वह जीवित रह सकता है परंतु यदि मनुष्य को पानी नहीं मिले तो उसका जीवित रहना दुर्लभ है। जल ही जीवन है इसके बिना सभी जीव-जंतुओं का अस्तित्व भी नहीं है। लेकिन आज के समय में मनुष्य यह भूल गया है पीने के पानी में गंदे नाले, सीवर लाइनों तथा कारखानों से निकला गंदा पानी नदियों में के स्वच्छ जल में मिलकर उसे दूषित कर देता है। इस प्रकार स्वच्छ जल को दूषित होने की प्रक्रिया को जल प्रदूषण water pollution in hindi कहते हैं।
जल प्रदूषण
प्रस्तावना
जल के मुख्य स्रोतों में दूषित एवं विषैले तत्वों का समावेश होना जल प्रदूषण कहलाता है।
जल प्रदूषण आज की एक गंभीर समस्या बन गई है। इसका प्रभाव सभी जीव-जंतुओं पर पड़ता है जल को दूषित करने वाले कारकों को जल प्रदूषक कहते हैं। जल प्रदूषण से भयंकर बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं जिससे मानव जाति का जीवन भी खतरे में पड़ सकता है। जल में अनेक प्रकार के कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ एवं गैसें घुली होती हैं। यदि जल में इन पदार्थों की मात्रा असंतुलित हो जाती है तो जल दूषित होकर हानिकारक हो जाता है।
जल प्रदूषण के कारण
गंगा और यमुना भारत की सबसे पवित्र नदियां मानी जाती हैं। इनमें स्वच्छ जल बहता है यह नदियां देश के उत्तरी केंद्रीय तथा पूर्वी भागों से गुजरती हैं। चूंकि इन स्थानों पर अधिकांश जनसंख्या है इस कारण ही यह नदियां शहरों व बस्तीयों से होकर गुजरती हैं। शहरों व बस्तियों के लोग इन पवित्र नदियों में घर का कूड़ा-करकट, मल-मूत्र तथा फैक्ट्रियों का गंदा पानी आदि प्रकार के विषैले जल को इसमें मिला देते हैं जिससे इन नदियों का पवित्र जल दूषित हो जाता है और इस प्रकार जल का प्रदूषण हो जाता है।
जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव
जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ता है। जब मनुष्य दूषित जल पी लेता है तो उसे अनेक प्रकार की बीमारियों का शिकार होना पड़ता है। जैसे – हैजा, पेचिश, टाइफाइड तथा पीलिया आदि। यह सभी बीमारियां संक्रमक रूप से फैलती हैं एवं बहुत घातक सिद्ध होती हैं।
जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव जल में रहने वाले जीवो जैसे – मछलियां, कछुए तथा अन्य प्रकार के जलीय जीवों पर ही पड़ता है। जब मनुष्य इन मछलियों का मांस खाता है तो मनुष्य के स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है कुछ प्रभाव तो इतनी घातक होते हैं कि मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है।
जल प्रदूषण पर नियंत्रण
जिस प्रकार वायु प्रदूषण का मुख्य स्रोत औद्योगिक संस्थान है उसी प्रकार जल प्रदूषण का मुख्य स्रोत भी औद्योगिक संस्थान ही हैं। इस प्रकार जल प्रदूषण को कम करने के लिए औद्योगिक संस्थानों पर नियंत्रण करना होगा। इन संस्थानों में से कम से कम ही विषैला जल निकलना चाहिए जिससे नदी का पानी बहुत कम दूषित हो, एवं घरों का कूड़ा-करकट भी नदियों के जल में मिलने से रोकना चाहिए।
जल प्रदूषण कोई दूरस्थ घटना नहीं रह गई है यह हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहा है। जब तक सभी लोग अपने दायित्वों की जिम्मेदारी नहीं समझेंगे तब तक जल प्रदूषण होता रहेगा इसलिए किसी भी व्यक्ति को गंदगी नहीं फैलाने चाहिए।
उपसंहार
उपयुक्त वर्णन द्वारा स्पष्ट किया गया है कि जल प्रदूषण एक बड़ी व गंभीर समस्या है। एवं यह समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होती है। इस समस्या को रोकने के लिए सरकार को पूरा योगदान देना चाहिए एवं प्रत्येक व्यक्ति भी अपना दायित्व समझें। यह परिवार उसके लिए कितना महत्वपूर्ण है इसलिए इसकी सुरक्षा व स्वच्छ रखना, यह सभी व्यक्तियों का परम कर्तव्य है।