वाटहीन धारा
जब प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में केवल प्रेरकत्व तथा धारिता होती है (जबकि प्रतिरोध शून्य है) तो इस प्रकार के प्रत्यावर्ती धारा परिपथ से प्रवाहित होने वाली धारा में कोई शक्ति क्षय नहीं होता है। अर्थात् औसत शक्ति क्षय शून्य रहता है। तब परिपथ में प्रवाहित इस धारा को वाटहीन धारा कहते हैं। वाटहीन धारा class 12 का उदाहरण चोक कुंडली में प्रवाहित धारा है।
जब परिपथ में प्रेरकत्व L तथा धारिता C होती है तो धारा तथा विभवांतर के बीच कलांतर 90° होता है तब
ϕ = 90° या ϕ = π/2
अब परिपथ में शक्ति क्षय
P = Vrms × irms × cosϕ
P = Vrms × irms × cos90°
P = Vrms × irms × 0 (cos90° = 0)
या \footnotesize \boxed { P = 0 }
अतः स्पष्ट है कि परिपथ में प्रकट और धारिता की उपस्थिति होने पर प्रवाहित धारा का कोई शक्ति क्षय नहीं होता है।
चोक कुंडली में प्रवाहित धारा को वाटहीन धारा क्यों कहते हैं
चोक कुंडली का शक्ति गुणांक नगण्य होता है या शून्य।
अतः जब चोक कुंडली में धारा प्रवाहित की जाती है तो कुंडली में औसत शक्ति क्षय शून्य होता है। शक्ति क्षय शून्य होने के कारण ही चोक कुंडली में प्रवाहित धारा को वाटहीन धारा कहते हैं।
ऊपर बनाए गए दोनों चित्र ही वाटहीन धारा को निरूपित करते हैं पहले चित्र (a) में प्रेरकत्व के साथ प्रत्यावर्ती धारा स्रोत को जोड़ा गया है तथा दूसरे चित्र (b) में धारिता के साथ प्रत्यावर्ती धारा स्रोत को जोड़ा गया है
परीक्षा में चित्र भी पूछ लिया जाता है कि वाटहीन धारा का चित्र बनाइए या चित्र सहित वर्णन करो। आप दोनों चित्र को एक साथ या अलग-अलग भी बना सकते हैं, या एक ऐसा चित्र भी बना सकते हैं जिसमें एक ही परिपथ में प्रेरकत्व L और धारिता C लगे हो।
आशा है कि आप को यह पसंद आया होगा। तो इससे अब अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। और अगर आपकी कोई प्रॉब्लम है तो हमें कमेंट द्वारा जरूर बताएं।
पढ़ें… 12वीं भौतिकी नोट्स | class 12 physics notes in hindi pdf