जेनर डायोड
जेनर डायोड p-n संधि का ही एक रूप है। लेकिन इसमें कुछ विशेष गुण होते हैं यह विशेष गुण ही p-n संधि डायोड को जेनर डायोड (zener diode in hindi) बनाते हैं। जेनर डायोड की खोज वैज्ञानिक क्लीयरेंस जेलर ने की थी। जेनर डायोड कोई युक्ति नहीं है। एक प्रकार की p-n संधि ही है।
जेनर डायोड को इस प्रकार से बनाया जाता हैं कि यह उत्क्रम (पश्च) अभिनति में भी बिना खराब हुए लगातार कार्य कर सकता है।
जेनर डायोड का प्रतीक चिन्ह
जेनर डायोड को प्रस्तुत प्रतीक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है यह बिल्कुल p-n संधि के ही समान है बस कुछ भिन्नताएं हैं।
जेनर डायोड के अभिलक्षण
इसके लिए हम सबसे पहले किरण आरेख खींचते हैं जो नीचे दर्शाया गया है। जब किसी जेनर डायोड को अग्र अभिनति में परिपथ में जोड़ा जाता है तो वह एक साधारण p-n संधि डायोड की तरह ही काम करता है। लेकिन जब जेनर डायोड को उत्क्रम अभिनति में परिपथ में जोड़ा जाता है तो इसमें भंजक वोल्टता उत्पन्न हो जाती है। जिस पर यह बिना किसी खराबी के निरंतर कार्य करता है जेनर डायोड का अभिलाक्षणिक वक्र चित्र में प्रदर्शित किया गया है।
वोल्टता नियंत्रक के रूप में जेनर डायोड
जेनर डायोड को वोल्टता निरंतर के रूप में प्रयोग करने के लिए सबसे पहले एक परिपथ तैयार करते हैं। जेनर डायोड पर एक निवेशी वोल्टेज को एक प्रतिरोध में से गुजारते हुए श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है। इस स्थिति में जेनर डायोड उत्क्रम अभिनति में होता है जब निवेशी वोल्टेज के मान में वृद्धि की जाती है तो परिपथ में प्रवाहित धारा के मान में भी वृद्धि हो जाती है। यदि परिपथ में प्रवाहित वोल्टता का मान जेनर डायोड की जेनर वोल्टता (Vz) से अधिक है तब डायोड भंजक स्थिति में होता है इसमें जेनर डायोड की वोल्टता नियत रहती है।
तथा जब निवेशी वोल्टता के मान में कमी की जाती है तो परिपथ में प्रवाहित धारा के मान में भी कमी आ जाती है। अब परिपथ में वोल्टता में कोई परिवर्तन नहीं होता है लेकिन प्रतिरोध के सिरों पर वोल्टता में कमी आ जाती है। अतः स्पष्ट है कि निवेशी वोल्टता के मान में कमी यह वृद्धि करने पर जेनर वोल्टता (Vz) में बिना परिवर्तन के प्रतिरोध R के सिरों पर वोल्टता में वृद्धि या कमी हो जाती है। तो इस प्रकार जेनर डायोड वोल्टता निरंतर के रूप में कार्य करता है।
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