ऊष्मागतिकी के इस नियम को शून्य नियम, शून्यांकी नियम, तथा शून्यवां नियम कहते हैं। इनमें से इस नियम को किसी भी नाम से लिख सकते हैं।
ऊष्मागतिकी का शून्यवां नियम
ऊष्मागतिकी के शून्य नियम के अनुसार, यदि दो निकाय किसी तीसरे ऊष्मागतिकी निकाय के साथ अलग-अलग तापीय साम्य में है तो वह दोनों निकाय भी परस्पर तापीय साम्य में होंगे।
माना दो ऊष्मागतिकी निकाय A और B हैं जो दोनों अलग-अलग तीसरे ऊष्मागतिकी निकाय C से तापीय साम्य में है। तब निकाय A और B भी तापीय साम्य में होंगे। चित्र सहित स्पष्ट किया गया है।
शून्य निगम का स्पष्टीकरण
चित्र में दो ऊष्मागतिकी निकाय A और B है दोनों निकाय एक ऊष्मारोधी दीवार (जिसमें ऊष्मा का चालन न हो) से अलग-अलग किए गए हैं। एवं दोनों निकाय, तीसरे ऊष्मागतिकी निकाय C से एक सुचालक दीवार से जुड़े हैं। सुचालक दीवार (ऊष्मा चालक दीवार) में ऊष्मा का आदान-प्रदान होता है इस स्थिति में निकाय A और B अलग अलग होने पर भी निकाय C के साथ तापीय साम्य प्राप्त कर लेते हैं।
यदि A और B के बीच ऊष्मा चालक दीवार लगा दी जाए तथा निकाय C की निकाय A व B से ऊष्मारोधी दीवार लगाकर उसे अलग कर दें, तो इस दशा में ऊष्मागतिकी निकाय A और B ही तापीय साम्य (ऊष्मीय साम्य) में होंगे। निकाय C तापीय साम्य में नहीं है।
अतः इससे स्पष्ट होता है कि यदि दो निकाय A और B किसी तीसरे निकाय C के साथ अलग-अलग उष्मीय साम्यावस्था में हैं तो ऊष्मागतिकी निकाय A और B भी आपस में उष्मीय साम्यावस्था में होंगे। यही ऊष्मागतिकी का शून्यवां नियम है।
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Note –
आपको भ्रम हो रहा होगा, कि अध्याय के अंतर्गत कहीं तो तापीय साम्य प्रयोग किया गया है और कहीं उष्मीय साम्यावस्था शब्द का प्रयोग किया गया है ऐसा क्यों।
वास्तव में यह दोनों शब्द एक ही है तापीय साम्य को ही उष्मीय साम्यावस्था कहते हैं या उष्मीय साम्यावस्था को ही तापीय साम्य कहते हैं। दोनों में से किसी भी नाम का प्रयोग कर सकते हैं।
जिसका भी प्रयोग करें, तो हर जगह वही लिखें। दोनों प्रयोग न करें, हमने तो आपको समझाने के लिए दोनों नाम प्रयोग किए हैं। लेकिन आप ऐसा न करें, या तो तापीय साम्य प्रयोग करें या उष्मीय साम्यावस्था ।
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