प्रत्यावर्ती धारा 12th physics chapter 7 objective questions and answers in हिंदी
- एक अमीटर का प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में पाठ्यांक 4 एम्पियर है। परिपथ में धारा का शिखर (या अधिकतम) मान है?
(a) 4 एम्पियर
(b) 8 एम्पियर
(c) 4\sqrt{2} एम्पियर ✓
(d) 2\sqrt{2} एम्पियर
हल- दिया है धारा पाठ्यांक irms = 4 एम्पियर
धारा का शिखर मान = ?
सूत्र irms = \large \frac{i_o}{\sqrt{2}} ⇒ तो io = irms×\sqrt{2} ⇒ 4\sqrt{2} Ans.
- यदि कुंडली का तल चुंबकीय क्षेत्र के समांतर है। तो प्रेरित विद्युत वाहक बल होगा?
(a) न्यूनतम
(b) अधिकतम ✓
(c) सामान रहेगा
(d) इनमें से कोई नहीं
हल- जो कुंडली का तल चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत होता है। तो प्रेरित विद्युत वाहक बल न्यूनतम होता है। तथा जब कुंडली का तल चुंबकीय क्षेत्र के समांतर होता है। तो प्रेरित विद्युत वाहक बल महत्तम (अधिकतम) होता है।
- आवृत्ति का मात्रक होता है?
(a) सेकंड-1 ✓
(b) सेकंड
(c) मीटर/सेकंड
(d) कूलाम/सेकंड
हल- किसी कुंडली द्वारा एक सेकंड में लगाए गए चित्रों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं। इसका मात्रक चक्कर/सेकंड या सेकंड-1 (1/सेकंड) या हर्ट्स होता है।
- एक Ω का प्रतिरोधक 220वोल्ट, 50हर्ट्स आवृत्ति की सप्लाई से जुड़ा है। तो परिपथ में धारा का irms मान कितना है?
(a) 2.60 एम्पियर
(b) 3.20 एम्पियर
(c) 2.20 एम्पियर ✓
(d) 3.60 एम्पियर
हल- दिया है- Vrms = 220 वोल्ट , प्रतिरोध = 100 Ω आवृत्ति = 50 हर्ट्स
ओम के नियम से V =iR
प्रशनानुसार Vrms = irms × R
irms = \large \frac{V_{rms}}{R}
irms = \large \frac{220}{100}
irms = 2.20 एम्पियर Ans.
Note- कहीं-कहीं प्रश्नों में ऐसी वैल्यू भी दे रखी होती है। जिसका क्वेश्चन के अंदर यूज़ नहीं होता है। यह भटकाने के लिए होती है जैसे यहां आवृत्ति दे रखी है।
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- जब प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में केवल प्रतिरोध R होता है तो वोल्टेज और धारा के बीच का कलान्तर होता है?
(a) 0° ✓
(b) 30°
(c) 60°
(d) 90°
हल- शुद्ध प्रतिरोध R वाले प्रत्यावर्ती परिपथ की प्रतिबाधा, प्रतिरोध के बराबर होती है इसी कारण वोल्टेज और धारा के बीच कलान्तर शून्य होता है।
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- क्या प्रेरकत्व L को दिष्ट धारा(D.C.) के प्रयोग में ले सकते हैं?
(a) हां ✓
(b) नहीं
(c) कह नहीं सकते
(d) कोई नहीं
हल- दिष्ट धारा के लिए आपूर्ति f = 0
सूत्र XL = 2πfL
f = 0 रखने पर ⇒ XL = 0
अतः दिष्ट धारा(D.C.) में प्रेरकत्व L प्रयोग करने से प्रतिरोध शून्य हो जाता है। तथा धारा का क्षह(हानि) नहीं होती है। इसीलिए प्रेरकत्व को दिष्ट धारा में प्रयोग कर सकते हैं।
- अनुनाद की स्थिति में L-C परिपथ की आवृत्ति है?
(a) \frac{1}{2π} \sqrt{LC}
(b) 2π \sqrt{\frac{1}{LC}}
(c) \frac{1}{2π} \sqrt{\frac{1}{LC}} ✓
(d) 2π \sqrt{LC}
हल- अनुनाद की स्थिति के लिए XL = XC ⇒ ωL = \frac{1}{ωC}
2πfL = \frac{1}{2πfC} ⇒f2 = \frac{1}{4π^2LC}
f = \frac{1}{2π}\sqrt{\frac{1}{LC}} Ans.
यह आवृत्ति अनुनादी आवृत्ति कहलाती है।
- वाटहीन धारा के लिए धारा i तथा वोल्टेज V के बीच का कलान्तर होता है?
(a) 2π/3
(b) π/2 ✓
(c) π/4
(d) π/6
हल- वाटहीन धारा में वोल्टेज तथा धारा के बीच कलान्तर 90°(π/2) होता है।
अर्थात् P = Vrms × irms × cos90° ⇒ 0 Ans.
- चोक कुंडली का प्रयोग किया जाता है?
(a) प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) में ✓
(b) दिष्ट धारा (D.C.) में
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
हल- चोक कुंडली का उपयोग प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) में किया जाता है। दिष्ट धारा (D.C.) में नहीं किया जाता है। क्योंकि दिष्ट धारा(ω=0) के लिए कुंडली का प्रेरण प्रतिघात XL शून्य होता है। इसलिए दिष्ट धारा चोक कुंडली का प्रयोग करने से कोई फायदा नहीं है।
- एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में 8Ω का प्रतिरोध तथा 6Ω प्रतिघात का प्रेरकत्व श्रेणी क्रम में लगे हैं। परिपथ की प्रतिबाधा होगी?
(a) 7 Ω
(b) 14 Ω
(c) 12 Ω
(d) 10 Ω ✓
हल- दिया है- प्रतिरोध R = 8Ω, प्रेरण प्रतिघात XL = 6Ω
प्रतिबाधा Z = \sqrt{R^2 + X_L^2}
प्रतिबाधा Z = \sqrt{8^2 + 6^2}
प्रतिबाधा Z = \sqrt{64 + 36}
प्रतिबाधा Z = \sqrt{100} ⇒ 10 Ω Ans.