जब किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है।
तो चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। बायो तथा सेवर्ट फ्रांस के दो वैज्ञानिक हैं। जिन्होंने धारावाही चालक पर अनेकों प्रयोगों द्वारा चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन किया। और एक सूत्र प्रस्तुत किया, जिसे बायो सेवर्ट नियम कहते हैं।
बायो सेवर्ट नियम
वैज्ञानिक बायो तथा सेवर्ट ने चुंबकीय क्षेत्र पर किए गए प्रयोगों के अध्ययन द्वारा बताया, कि किसी धारावाही चालक के अल्पांश (छोटा हिस्सा small elements) ∆ℓ के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र का मान निम्न बातों पर निर्भर करता है।
(i) चुंबकीय क्षेत्र ∆B, चालक में प्रवाहित विद्युत धारा i के अनुक्रमानुपाती होता है। अतः
∆B ∝ i
(ii) चुंबकीय क्षेत्र ∆B, अल्पांश की लंबाई ∆ℓ के अनुक्रमानुपाती होता है। अतः
∆B ∝ ∆ℓ
(iii) चुंबकीय क्षेत्र ∆B, अल्पांश से बिंदु P को मिलाने वाली रेखा तथा अल्पांश की लंबाई के बीच बने कोण की ज्या(sine) के अनुक्रमानुपाती होता है। अतः
∆B ∝ sinθ
(iv) चुंबकीय क्षेत्र ∆B, अल्पांश से बिंदु P के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अतः
∆B ∝ \large \frac{1}{r^2}
अब चारों नियमों को मिलाने पर
\footnotesize \boxed { ∆B ∝ \frac{i∆ℓsinθ}{r^2} }इस संबंध को ही बायो सेवर्ट नियम कहते हैं। यदि चालक वायु अथवा निर्वात में स्थित हो, तब बायो सेवर्ट नियम इस प्रकार लिखा जाएगा।
\footnotesize \boxed { ∆B = \frac{µ_0}{4π} \frac{i∆ℓsinθ}{r^2} }
जहां µ0 को निर्वात की विद्युतशीलता कहते हैं। इसका मान 4π × 10-7 न्यूटन/एंपियर2 होता है।
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बायो सेवर्ट नियम का सूत्र
बायो सेवर्ट नियम के अनुसार धारावाही चालक पर चुंबकीय क्षेत्र निम्न बातों पर निर्भर करता है। तो चुंबकीय क्षेत्र
\footnotesize \boxed { ∆B ∝ \frac{i∆ℓsinθ}{r^2} }
चालक वायु अथवा निर्वात में स्थित है तब चुंबकीय क्षेत्र
\footnotesize \boxed { ∆B = \frac{µ_0}{4π} \frac{i∆ℓsinθ}{r^2} }
यह सूत्र ही बायो सेवर्ट नियम का सूत्र कहलाता है।
निर्वात की चुंबकशीलता का मात्रक
बायो सेवर्ट नियम में अनुक्रमानुपाती नियतांक µ0 को चुंबकशीलता कहते हैं। चुंबकशीलता का मान 4π × 10-7 न्यूटन/एंपियर2 होता है। बायो सेवर्ट नियम के सूत्र से
\footnotesize \boxed { ∆B = \frac{µ_0}{4π} \frac{i∆ℓsinθ}{r^2} }यदि i एंपियर में और ∆ℓ तथा r मीटर में हो, तो चुंबकशीलता का मात्रक न्यूटन/एंपियर2 या वेबर/एंपियर-मीटर होगा।
M.K.S. पद्धति में चुंबकशीलता का मात्रक किग्रा-मीटर/सेकंड2-एंपियर2 होता है।
चुंबकशीलता का विमीय सूत्र
सूत्र \footnotesize \boxed { ∆B = \frac{µ_0}{4π} \frac{i∆ℓsinθ}{r^2} } से
यहां चुंबकशीलता का मात्रक न्यूटन/एंपियर2 होता है। तो
चुंबकशीलता µ0 = \large \frac{न्यूटन}{एंपियर^2}
चुंबकशीलता µ0 = \large \frac{किग्रा-मीटर/सेकंड^2}{एंपियर^2}
चुंबकशीलता µ0 = किग्रा-मीटर/सेकंड-2-एंपियर-2
अतः चुंबकशीलता µ0 का विमीय सूत्र [MLT-2A-2] होता है।
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