डाइबोरेन किसे कहते हैं, बनाने की विधि, गुण, संरचना एवं उपयोग का वर्णन कीजिए

डाइबोरेन

डाइबोरेन, बोरॉन का एक यौगिक है। डाइबोरेन का रासायनिक सूत्र B2H6 होता है बोरॉन के हाईड्राइडों में सबसे सरलतम हाइड्राइड डाइबोरेन है। यह अत्यंत जहरीली रंगहीन गैस है।

डाइबोरेन बनाने की विधि

1. डाइबोरेन को डाइएथिल ईथर की उपस्थिति में लीथियम एलुमिनियम हाइड्राइड (LiAlH4) की बोरॉन ट्राइफ्लुराइड BF3 के साथ के क्रिया कराने पर बनाया जाता है।
4BF3 + 3LiAlH4 \xrightarrow {ईथर} \scriptsize \begin{array}{rcl} 2B_2H_6 \\ डाइबोरेन \end{array} + 3LiF + 3AlF3

2. प्रयोगशाला में डाइबोरेन को सोडियम बोरोहाइट्राइड (NaBH4) का ऑक्सीकरण आयोडीन के साथ क्रिया कराने पर प्राप्त किया जाता है।
2NaBH4 + I2 \longrightarrow \scriptsize \begin{array}{rcl} B_2H_6 \\ डाइबोरेन \end{array} + 2NaI + H2

पढ़ें… वर्ग 14 के तत्व, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, भौतिक व रासायनिक गुण, आयनन एंथैल्पी
पढ़ें… ऑर्थोबोरिक अम्ल या बोरिक अम्ल क्या है, बनाने की विधि, गुण, उपयोग व सूत्र

3. औद्योगिक रूप से डाइबोरेन को बोरॉन ट्राइफ्लुराइड (BF3) तथा सोडियम हाइड्राइड NaH की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है।
2BF3 + 6NaH \xrightarrow {450K} \scriptsize \begin{array}{rcl} B_2H_6 \\ डाइबोरेन \end{array} + 6NaF

Note – परीक्षाओं में डाइबोरेन बनाने की केवल एक ही विधि पूछी जाती है। इसलिए जो विधि आपको आसानी से याद हो जाए उसे ही याद करें सभी को नहीं। एक बार समझ सभी को लें।

डाइबोरेन के गुण

  • डाइबोरेन अत्यंत जहरीली रंगहीन गैस है।
  • वायु के संपर्क में आने पर यह स्वयं जलने लगती है तथा बड़ी मात्रा में ऊर्जा का उत्सर्जन करती है।
    B2H6 + 3O2 \longrightarrow B2O3 + 3H2O
    ∆H = -1976 KJ/mol
  • डाइबोरेन जल के साथ आसानी से जल अपघटित हो जाती है। तथा बोरिक अम्ल (H3BO3) देती है।
    B2H6 + 6H2O \longrightarrow 2H3BO3 + 6H2
  • डाइबोरेन को 100°C ताप पर गर्म करने पर डेकाबोरेन (B10H14) प्राप्त होता है।
    5B2H6 \xrightarrow {100°C} B10H14 + 8H2

डाइबोरेन की संरचना

डाइबोरेन की संरचना को चित्र में दर्शाया गया है।
इसमें दो बोरॉन परमाणु और चार सिरेवाले हाइड्रोजन परमाणु एक ही तल में होते हैं। इस तल के ऊपर तथा नीचे दो सेतु बंधक हाइड्रोजन परमाणु होते हैं।

डाइबोरेन की संरचना
डाइबोरेन की संरचना

डाइबोरेन अणु में चार सिरेवाले B—H बंध हैं जो कि सामान्य सहसंयोजक बंध हैं। यह चार B—H बंध सामान्य द्विकेंद्रीय-द्विइलेक्ट्रॉन बंध कहलाते हैं। जबकि दो सेतुबंध बनाते हैं। जिन्हें त्रिकेंद्रीय-द्विइलेक्ट्रॉन बंध कहते हैं। इसे संक्षेप में 2C—2e बंध कहते हैं।


शेयर करें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *