नाभिकीय संलयन और नाभिकीय विखंडन में अंतर स्पष्ट कीजिए

नाभिकीय विखंडन तथा नाभिकीय संलयन के बारे में हम पिछले अध्यायों में पड़ चुके हैं। प्रस्तुत अध्याय के अंतर्गत हम इन दोनों के बीच पाए जाने वाले अंतर को विस्तार से पढ़ेंगे।

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नाभिकीय संलयन और नाभिकीय विखंडन में अंतर

नाभिकीय विखंडन में एक भारी नाभिक पर न्यूट्रॉन की बमबारी करने पर वह अपेक्षाकृत दो हल्के नाभिकों में टूट जाता है।
इसके विपरीत नाभिकीय संलयन में दो हल्के नाभिक संलयित होकर एक भारी नाभिक का रूप ले लेते हैं।

क्रम संख्यानाभिकीय विखंडननाभिकीय संलयन
1.नाभिकीय विखंडन प्रक्रिया केवल भारी तत्वों के नाभिकों में ही हो सकती है।नाभिकीय संलयन प्रक्रिया केवल हल्के तत्वों के नाभिकों से ही होती है।
2.इस प्रक्रिया में ऊर्जा परिवर्तन की प्रतिशत क्षमता कम होती है।इस प्रक्रिया में ऊर्जा परिवर्तन की प्रतिशत क्षमता अधिक होती है।
3.यह प्रक्रिया ताप की साधारण मात्रा पर भी कराई जा सकती है।यह प्रक्रिया केवल उच्च ताप पर ही कराई जा सकती है।
4.यह क्रिया को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे – नाभिकीय रिएक्टर.यह प्रक्रिया को आसानी से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। जैसे – हाइड्रोजन बम.
5.इस क्रिया में ऊर्जा लगभग 200 मेगा इलेक्ट्रॉन-वोल्ट होती है।इस क्रिया में उत्पन्न ऊर्जा 24 मेगा इलेक्ट्रॉन-वोल्ट होती है।
6.इस प्रक्रिया में द्रव्यमान की क्षति होती है।इस प्रक्रिया में भी द्रव्यमान की क्षति हो जाती है।
7.परमाणु बम नाभिकीय विखंडन पर आधारित होता है।हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन पर आधारित होता है।

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