पूर्ण आंतरिक परावर्तन के बारे में हम पिछले अध्याय में पढ़ चुके हैं। अब इस अध्याय के अंतर्गत पूर्ण आंतरिक परावर्तन के अनुप्रयोग या उदाहरण को विस्तार से पढ़ेंगे। जैसे हीरे का चमकना, कांच में पड़ी दरारों का चमकना, रेगिस्तान में मरीचिका
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उदाहरण
हीरे का अत्याधिक चमकना
हीरे के चमकने का प्रमुख कारण पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है। जब कोई प्रकाश की किरण हीरे के अंदर प्रवेश करती है तो क्रांतिक कोण, आपतन कोण से बहुत कम केवल 24° हो जाता है। इस कारण हीरे में से तब ही प्रकाश किरण बाहर निकलती है। जब आपतन कोण का मान 24° से कम हो जाता है। अतः यह निकलता हुआ प्रकाश ही चमकता हुआ प्रतीत होता है। हीरे का अपवर्तनांक 2.4° होता है।
रेगिस्तान में मरीचिका
रेगिस्तान में मरीचिका का प्रमुख कारण पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है। अतः रेगिस्तान में मरीचिका, पूर्ण आंतरिक परिवर्तन का उदाहरण है।
कभी-कभी रेगिस्तान में यात्रियों को दूर स्थित किसी पेड़ के साथ-साथ उसका उल्टा प्रतिबिंब भी दिखाई देता है। या उसे लगता है कि दूर कहीं जल का तालाब है वास्तव में वहां कुछ नहीं होता है। यह केवल भ्रम हो जाता है इसे ही रेगिस्तान में मरीचिका कहते हैं।
जब सूर्य की गर्मी रेगिस्तान की रेत पर पड़ती है तो वे गर्म हो जाती है। इस गर्मी से रेत के पास कि वायु अधिक गर्म हो जाती है तथा इसका घनत्व बहुत ही कम हो जाते हैं। और वायु की यह परत अपेक्षाकृत विरल हो जाती है और इससे कुछ ऊपर जाने पर वायु की परतों का ताप लगातार घटता जाता है। क्योंकि वायु की ऊपरी परत की रेत से दूरी बढ़ जाती है तथा ऊपरी वायु की परत ठंडी होती है। जो कि अपेक्षाकृत सघन हो जाती है तब इस प्रकार किसी पेड़ या अन्य वस्तु का ऊपरी भाग सघन तथा निचला भाग विरल हो जाता है।
जब कोई प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तो क्रांतिक कोण का मान अधिक हो जाता है। और पूर्ण आंतरिक परावर्तन की घटना घटित हो जाती है जिसके कारण किसी वस्तु जैसे पेड़ के वास्तविक प्रतिबिंब के साथ-साथ उसका उल्टा प्रतिबिंब भी दिखाई देता है।
कांच में पड़ी दरारों का चमकना
आपने देखा होगा कि जब कोई कांच चटक जाता है तो चटका भाग चमकने लगता है यह पूर्ण आंतरिक परिवर्तन के कारण ही होता है।
जब खिड़की या गिलास का कांच चटक जाता है। तो उसमें दरारें पड़ जाती हैं जिसके जिसके अंदर वायु की एक पतली पर आ जाती है।
जब कोई प्रकाश किरण इस कांच पर पड़ती है तो प्रकाश, वायु की परत तक नहीं पहुंचता है बल्कि संपूर्ण प्रकाश परावर्तित हो जाता है। जिससे पूर्ण आंतरिक परावर्तन की घटना घटित हो जाती है। और यह प्रकाश जब आंखों पर पड़ता है तो कांच में पड़ी दरारों का चमकना दिखाई देता है।
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