ओजोन परत क्या है, इसका क्षरण, महत्व और प्रभाव, ओजोन छिद्र pdf

ओजोन क्या है, इसके बनाने की विधि, भौतिक व रासायनिक गुण तथा उपयोग और रासायनिक परीक्षण पर Study Nagar द्वारा पहले ही लिखा जा चुका है। जिसका सीधा लिंक नीचे प्रस्तुत किया गया है। इस लेख के अंतर्गत हम ओजोन परत के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे।
पढ़ें… ओजोन क्या है, गुण, उपयोग बनाने की विधियां, चित्र और ओजोन परत

ओजोन परत

ओजोन साधारण वायु में अति अल्प मात्रा में पाई जाती है। ऊपरी समताप मंडल में इसकी प्रचुर मात्रा होती है समताप मंडल में उपस्थित हो ओजोन को ही ओजोन परत (ozone layer in Hindi) कहते हैं।
ओजोन परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरणों को धरती से आने से रोकती हैं। पराबैंगनी विकिरणों से धरती पर रहने वाले मनुष्य, जीव जंतुओं पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यह विकिरण त्वचा का कैंसर, मोतियाबिंद तथा जलीय जीवों को भी हानि पहुंचा सकती हैं। इस कारण ही ओजोन परत को रक्षी परत भी कहा जाता है।

ओजोन, ऑक्सीजन पर सूर्य की पराबैंगनी विकिरणों के प्रभाव से बनती है।
3O2 \xrightarrow {hv} \scriptsize \begin{array}{rcl} 2O_3 \\ ओजोन \end{array} + ऊष्मा
ओजोन (O3) अणुओं में सूर्य की पराबैंगनी विकिरणों को प्रबलता से अवशोषित करने की योग्यता होती है। ओजोन की परत पराबैंगनी विकिरणों के हानिकारक प्रभाव से पृथ्वी पर जीवो को रक्षा करने में सहायता प्रदान करती है।

ओजोन परत का क्षरण

मानव द्वारा निर्मित रासायनिक पदार्थ संताप मंडल में उपस्थित ओजोन परत को हानि पहुंचा सकते हैं।
वायुमंडल में नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) से ओजोन परत क्षरण हो रहा है। क्लोरोफ्लोरोकार्बन को फ्रेऑन कहा जाता है यह रेफ्रिजरेटर तथा एयर कंडीशनर (A.C.) में प्रयोग होती है। समताप मंडल में पहुंचकर फ्रेऑन (CFCs) ओजोन अणुओं को नष्ट करके ओजोन परत का क्षरण करती है। तथा ओजोन परत के संतुलन को लगातार प्रभावित करती है। जो पृथ्वी पर जीवो के लिए संकटकारी है। ओजोन परत के क्षरण के लिए मुख्यतः फ्रेऑन (CFCs) उत्तरदायीं हैं।

Note – कहीं-कहीं पर ‘ओजोन परत का क्षय’ तो कहीं पर ‘ओजोन परत का क्षरण’ या ‘ओजोन परत का अवक्षय’ प्रयोग होता है। लेकिन यह तीनों एक ही हैं आप इनमें से किसी भी एक का प्रयोग कर सकते हैं।

ओजोन परत के क्षरण के प्रभाव

ओजोन परत के क्षरण (क्षय) होने से पृथ्वी पर सूर्य की पराबैंगनी किरणें प्रवेश करने लगेंगी। जिससे पृथ्वी पर बसने वाले प्राणियों पर अधिक प्रभाव हो सकते हैं।

  1. पराबैंगनी विकिरणों से मनुष्य में त्वचा का कैंसर हो सकता है।
  2. पराबैंगनी विकिरणों से धूम कोहरा तेजी से बनने लगेगा।
  3. पौधों की पत्तियों में क्लोरोफिल की हानि हो सकती है जिससे पौधे के पत्ते पीले पड़ सकते हैं।
  4. UV विकिरणों से पृथ्वी का तापमान बढ़ने से समुद्र का जल स्तर बढ़ जाएगा जिससे निचले क्षेत्रों में बाढ़ आ सकती है।

ओजोन छिद्र

नाइट्रोजन के ऑक्साइड और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (फ्रेऑन) वायुमंडल में लगातार उत्सर्जन से ओजोन परत पर क्षति पहुंचा रहे हैं। जिससे ओजोन परत की सांद्रता समताप मंडल में कम हो रही है कम सांद्रता वाले ओजोन परत के क्षेत्र को ओजोन छिद्र कहते हैं।
ओजोन छिद्र अंटार्कटिका में दक्षिणी ध्रुव के ऊपर बसंत ऋतु में वायुमंडलीय वैज्ञानिकों ने ढूंढा था। पृथ्वी के रक्षक ओजोन परत में छिद्र फ्रेऑन और नाइट्रोजन के ऑक्साइड उत्पन्न करते हैं। यह पदार्थ उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं। अतः इन पदार्थों की अल्प मात्रा भी समताप मंडल में बड़े परिवर्तन कर सकती है।


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