विलेयता और विलेयता गुणनफल क्या है समझाइए, संबंध, अनुप्रयोग, अंतर, Ksp

विलेयता

निश्चित ताप पर किसी पदार्थ की वह मात्रा जो 100 ग्राम विलायक को संतृप्त करने के लिए आवश्यक होती है पदार्थ की विलेयता कहलाती है।
विलेयता को ग्राम/लीटर या मोल/लीटर विलयन में व्यक्त करते हैं। मोल/लीटर में व्यक्त विलेयता को मोलर विलेयता कहते हैं।

विलेयता गुणनफल

स्थिर ताप पर किसी दुर्बल विद्युत अपघट्य के संतृप्त विलयन में उपस्थित आयनों की सांद्रताओं के गुणनफल को उसका विलेयता गुणनफल (solubility product in Hindi) कहते हैं। विलेयता गुणनफल का मान तापक्रम पर निर्भर करता है।

स्थिर ताप पर किसी अल्प विलेय विद्युत अपघट्य के संतृप्त विलयन में ठोस विद्युत अपघट्य और विलयन में उपस्थित अवियोजित अणुओं और आयनों के मध्य साम्यावस्था रहती है।
आइए हम बेरियम सल्फेट BaSO4 ठोस लवण पर विचार करते हैं। जो संतृप्त जलीय विलयन के संपर्क में है। अघुलित ठोस तथा इसके संतृप्त विलयन के आयनों के मध्य साम्यावस्था को निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
BaSO4(s) \xrightleftharpoons{H_2O} Ba2+(aq) + SO42-(aq)

द्रव्य अनुपाती क्रिया का नियम लगाने पर साम्यावस्था स्थिरांक
K = \frac{[Ba^{2+}] [SO_4^{2-}]}{[BaSO_4]}
शुद्ध ठोस पदार्थ की सांद्रता स्थिर होती है अतः
K’ = [BaSO4]
यदि K × K’ = Ksp तो
Ksp = \frac{[Ba^{2+}] [SO_4^{2-}]}{[BaSO_4]} × [BaSO4]
Ksp = [Ba2+] × [BaSO4][SO42-]
जहां Ksp एक स्थिरांक है जिसे विलेयता गुणनफल स्थिरांक या विलेयता गुणनफल कहते हैं।
उपरोक्त समीकरण में विलेयता गुणनफल Ksp का 298K ताप पर प्रतियोगिता मान 1.1 × 10-10 है।

अतः स्थिर ताप पर किसी अल्प विलेय विद्युत अपघट्य के विलेयता गुणनफल Ksp का मान निश्चित और स्थिर रहता है। इसका मान विद्युत अपघट्य की प्रकृति और ताप पर निर्भर करता है। आयनों की सांद्रता में परिवर्तन होने पर विलेयता गुणनफल का मान अपरिवर्तित रहता है।

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विलेयता गुणनफल के उदाहरण

1. सिल्वर क्लोराइड AgCl का विलेयता गुणनफल स्थिरांक है।
Ksp = [Ag+] [Cl]
2. लेड ब्रोमाइड PbBr2 विलेयता गुणनफल स्थिरांक है।
PbBr2 \rightleftharpoons Pb2+ + 2Br
Ksp = [Pb2+] [Br]2

विलेयता और विलेयता गुणनफल में संबंध

माना किसी अल्प विलेय द्विअंगी विद्युत अपघट्य XY की मोलर विलेयता S ग्राम/लीटर है। चूंकि विद्युत अपघट्य अल्प विलेय है इसलिए इसका संतृप्त विलयन में आयनन पूर्णतः होता है। इसलिए XY पूर्णतः आयनन के पश्चात X+ तथा Y का उतना ही सांद्रता देता है जितना XY का था। तब X+ तथा Y आयनों का सांद्रण अलग-अलग क्रमशः S ग्राम/लीटर में होगा। तब
XY \rightleftharpoons X+ + Y
विलेयता गुणनफल Ksp = [X+] [Y]
तब Ksp = S × S
Ksp = S2
या \footnotesize \boxed { S = \sqrt{K_{sp}} } मोल/लीटर

अतः किसी अल्प विलेय द्विअंगी विद्युत अपघट्य की विलेयता उसके विलेयता गुणनफल के वर्गमूल के बराबर होती है। यही विलेयता और विलेयता गुणनफल के बीच संबंध का सूत्र है।

Note – विलेयता और विलेयता गुणनफल में संबंध दो प्रकार से होता है लेकिन आप यही करना यह तरीका आसान है।

विलेयता गुणनफल के अनुप्रयोग

  1. गुणात्मक विश्लेषण में
  2. साबुन के लवणीकरण में
  3. नमक के शोधन में

कुछ सामान्य आयनिक लवणों का विलेयता गुणनफल का मान (298K ताप पर)

लवणसूत्रविलेयता गुणनफल Ksp
सिल्वर ब्रोमाइडAgBr5.0 × 10-13
सिल्वर क्रोमेटAg2CrO41.1 × 10-12
सिल्वर क्लोराइडAgCl1.8 × 10-10
बेरियम सल्फेटBaF21.0 × 10-6
कैल्शियम सल्फेटCaC2O44.0 × 10-9
क्यूप्रस क्लोराइडCuCO31.4 × 10-10
फेरस हाइड्रोक्साइडFe(OH)21.0 × 10-16
लेड ब्रोमाइडPbBr24.0 × 10-5
लेड आयोडाइडPbI27.1 × 10-9
जिंक कार्बोनेटZnCO31.4 × 10-11

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